Hindu Population: अफगानिस्तान में कितने हिंदू? कभी थे लाखों
Hindu Population: अफगानिस्तान में हिंदू और सिख समुदायों की आबादी लगातार घट रही है. तालिबान के सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, जिससे वे डर और असुरक्षा में जी रहे हैं. अब केवल कुछ ही धार्मिक स्थल शेष बचे हैं.
By Aman Kumar Pandey | April 13, 2025 4:58 PM
Hindu Population: अफगानिस्तान, जो कभी सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाना जाता था, आज वहां की स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है. कभी यह भूमि सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा थी और हिंदू तथा सिख समुदायों का प्रमुख केंद्र मानी जाती थी. लेकिन समय के साथ-साथ हालात इतने बदल गए कि आज वहां 99.7% से अधिक मुस्लिम आबादी है और तालिबान जैसी कट्टरपंथी आतंकी संगठन की सत्ता स्थापित है. तालिबान के आने के बाद से ही वहां अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदू और सिखों के लिए जीवन बेहद कठिन हो गया है.
अफगानिस्तान में एक समय ऐसा भी था जब विभिन्न धर्म, भाषाएं और संस्कृतियों के लोग मिल-जुलकर रहते थे. लेकिन 1980 के दशक से शुरू हुई अस्थिरता, गृहयुद्ध और तालिबान की कट्टर सोच ने इस सामाजिक ताने-बाने को पूरी तरह तोड़ दिया. धार्मिक अल्पसंख्यकों को लगातार प्रताड़ित किया गया, जिससे उनकी संख्या में भारी गिरावट आई.
1970 के दशक में अफगानिस्तान में लगभग 7 लाख हिंदू और सिख रहते थे. लेकिन इसके बाद के दशकों में हालात ऐसे बदले कि 1980 के दशक तक यह संख्या घटकर 2 से 3 लाख रह गई. TOLO न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 30 वर्षों में अफगानिस्तान से करीब 99% हिंदू और सिख पलायन कर चुके हैं. 1990 के दशक में जब मुजाहिदीन सत्ता में आए और हिंसा और युद्ध तेज हुआ, तब इन समुदायों की संख्या घटकर मात्र 15,000 रह गई. और अब, वर्तमान में, अफगानिस्तान में सिर्फ करीब 1,350 हिंदू और सिख ही बचे हैं.
धार्मिक स्थलों की स्थिति भी चिंताजनक है. अब देश में केवल एक हिंदू मंदिर और लगभग 2 से 4 गुरुद्वारे ही बचे हैं. ये स्थान अब न सिर्फ पूजा के केंद्र हैं, बल्कि बहुत से हिंदू और सिख वहीं रहकर जीवन गुजारने को मजबूर हैं. उन्हें डर है कि बाहर निकलने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है.
2018 में जलालाबाद में आत्मघाती हमले में कई हिंदू और सिख नेता मारे गए थे. इसी तरह मार्च 2020 में काबुल स्थित एक सिख गुरुद्वारे पर हुए हमले में 25 लोगों की मौत हुई. इन घटनाओं ने अफगानिस्तान में बसे अल्पसंख्यकों के भीतर भय और असुरक्षा की भावना को और गहरा कर दिया. इन सब हालातों के चलते बड़ी संख्या में हिंदू और सिख अफगानिस्तान से पलायन कर चुके हैं, और अब यह भूमि, जो कभी उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों का हिस्सा थी, उनके लिए पराई होती जा रही है.