Storm Alert : सितंबर में तूफान मचाएगा तांडव, जा सकती है सैकड़ों जान

Storm Alert : नॉर’ईस्टर तूफान अमेरिका के ईस्ट कोस्ट पर बसे घनी आबादी वाले शहरों के लिए गंभीर खतरा माने जाते हैं. ये तूफान कभी-कभी इतनी तबाही मचाते हैं कि लोगों को लंबे समय तक उनका नाम याद रहता है. कुछ तूफानों को उनकी भयावहता के कारण खास नाम भी दिए गए हैं. तूफान को लेकर डराने वाली बात सामने आई है.

By Amitabh Kumar | July 15, 2025 11:43 AM
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Storm Alert : अमेरिका के ईस्ट कोस्ट (पूर्वी तट) पर भारी बारिश, बर्फबारी और बाढ़ लाने वाले विनाशकारी तूफान को लेकर डराने वाली बात सामने आई है. इस जानलेवा तूफान को नॉर’ईस्टर कहा जाता है. एक नई स्टडी में पाया गया है कि अब जलवायु प्रदूषण के प्रभाव से ये और भी अधिक शक्तिशाली हो रहे हैं. इस संबंध में सीएनएन ने एक खबर प्रकाशित की है. नॉर’ईस्टर तूफान आमतौर पर सितंबर से अप्रैल के बीच बनते हैं. ये तूफान तब बनते हैं जब उत्तर की ओर से आने वाली ठंडी आर्कटिक हवाएं और अटलांटिक महासागर की गर्म और नम हवाओं के बीच तापमान में अंतर होता है. इससे तूफानों को एनर्जी मिलती है.

पहले आए दो तूफानों के बारे में जानें

नॉर’ईस्टर तूफान ईस्ट कोस्ट के घनी आबादी वाले शहरों के लिए बड़ा खतरा हैं. कुछ तूफान इतने भयानक थे कि उन्हें खास नाम दिए गए हैं. मार्च 1993 में आया “स्टॉर्म ऑफ द सेंचुरी” सबसे खतरनाक तूफानों में से एक था. इसमें 100 मील प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से हवाएं चलीं, कुछ जगहों पर करीब 60 इंच बर्फ गिरी और इस तूफान में 200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. 2010 में आया “स्नोमैगेडन” नाम का तूफान पेंसिल्वेनिया, मैरीलैंड, वर्जीनिया और वेस्ट वर्जीनिया के कई हिस्सों में 20 इंच से ज्यादा बर्फ लेकर आया. इस तूफान में 41 लोगों की मौत हो गई और लाखों लोग बिजली के बिना रह गए.

जलवायु वैज्ञानिक माइकल मैन ने क्या कहा?

पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक और इस स्टडी के लेखक माइकल मैन 2010 के स्नोमैगेडन के दौरान फिलाडेल्फिया के एक होटल के कमरे में तीन दिन तक फंसे रहे थे. इसी अनुभव ने पहली बार उनके मन में यह सवाल जगाया कि ग्लोबल वॉर्मिंग का असर इन तूफानों पर कैसे पड़ सकता है. पंद्रह साल बाद अब उन्हें लगता है कि उनके पास कुछ जवाब हैं.

तूफानों की तीव्रता को लेकर किया गया अध्ययन

माइकल मैन के अनुसार, वैज्ञानिकों में आम सहमति है कि गर्म होती दुनिया में नॉर’ईस्टर तूफानों की संख्या कम हो सकती है, क्योंकि आर्कटिक क्षेत्र बाकी उत्तरी गोलार्द्ध की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है. इससे ठंडी और गर्म हवाओं के बीच तापमान का अंतर कम हो जाता है, जो इन तूफानों को एनर्जी देता है. लेकिन अब तक यह साफ नहीं था कि इन तूफानों की तीव्रता पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि इस विषय पर ज्यादा अध्ययन नहीं हुए हैं. इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए वैज्ञानिकों ने 1940 से 2025 के बीच आए नॉर’ईस्टर तूफानों का विश्लेषण किया. इसके लिए उन्होंने पुराने रिकॉर्ड और एक साइक्लोन ट्रैकिंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया. इसके आधार पर उन्होंने इन तूफानों का एक डिजिटल एटलस (मानचित्र) तैयार किया.

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कुल 900 नॉर’ईस्टर तूफानों का विश्लेषण किया. इसके बाद पाया कि 1940 से अब तक इन तूफानों की अधिकतम हवा की रफ्तार लगभग 6% बढ़ गई है. यह रिपोर्ट Proceedings of the National Academy of Sciences में प्रकाशित हुई. हालांकि 6% की बढ़ोतरी सुनने में कम लग सकती है, लेकिन इसका असर काफी बड़ा होता है. वैज्ञानिक माइकल मैन के मुताबिक, 6% अधिक हवा की रफ्तार तूफान की विनाशकारी ताकत को 20% तक बढ़ा देती है. उन्होंने कहा, “यह बहुत बड़ा फर्क है.” इसके अलावा, विश्लेषण से यह भी पता चला कि इन तूफानों के दौरान गिरने वाली बारिश और बर्फ की मात्रा में भी करीब 10% की बढ़ोतरी हुई है.

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