नुकसान के बावजूद नैनो को चलाती रहेगी टाटा मोटर्स, ये है वजह…

कोलकाता: वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स अपने महत्वाकांक्षी मॉडल नैनो की बिक्री गिर जाने की वजह से उत्पादन फायदेमंद नहीं रह जाने के कारण वैकल्पिक योजनाओं पर विचार कर रही हैं. कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) सतीश बोरवंकर ने नैनो के भविष्य के बाबत पूछे जाने पर कहा कि आने वाले समय के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2017 6:05 PM
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कोलकाता: वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स अपने महत्वाकांक्षी मॉडल नैनो की बिक्री गिर जाने की वजह से उत्पादन फायदेमंद नहीं रह जाने के कारण वैकल्पिक योजनाओं पर विचार कर रही हैं. कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) सतीश बोरवंकर ने नैनो के भविष्य के बाबत पूछे जाने पर कहा कि आने वाले समय के लिए नैनो के वैकल्पिक योजनाओं पर विचार किया जा रहा है. वैकल्पिक योजनाओं में इसका इलेक्ट्रिक संस्करण लाना भी शामिल है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस मॉडल से भावनात्मक जुड़ाव होने के कारण इसका उत्पादन बंद करने की योजना नहीं है. शेयरधारक भी चाहते हैं कि इसका उत्पादन जारी रखा जाये.

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बोरवंकर ने बताया कि अभी करीब 1000 नैनो कारें प्रति माह बेची जा रही हैं. कंपनी ने पश्चिम बंगाल के सिंगुर में अपना संयंत्र बंद करने के बाद नैनो का उत्पादन गुजरात के साणंद स्थित संयंत्र में स्थानांतरित कर दिया था. इस संयंत्र में नैनो के अलावा दो अन्य यात्री कार टियागो और टिगोर का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि टियागो और टिगोर का उत्पादन नैनो के कम उत्पादन के मुकाबले काफी अधिक है.

यात्री वाहनों के साथ ही व्यावसायिक वाहनों की भी बिक्री गिरते जाने के बारे में पूछे जाने पर बोरवंकर ने कहा कि उपभोक्ताओं से जुड़ने संबंधी दिक्कतें हैं, जिन्हें ठीक किया जा रहा है. हम डीलरों के यहां जाकर अब उपभोक्ताओं की दिक्कतें समझ रहे हैं. जून, जुलाई और अगस्त में बिक्री फिर से बढ़ी है. उन्होंने कहा कि व्यावसायिक वाहनों के मामले में एक अन्य दिक्कत आपूर्ति में आ रहे अवरोध हैं. मांग बढ़ने के बाद अब उत्पादन बढ़ाने का काम किया जा रहा है.

बोरवंकर ने इस मौके पर यह भी जानकारी दी कि कंपनी एक कॉम्पैक्ट स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) पेश करने की तैयारी में है. इसका उत्पादन पुणे के रंजनगांव स्थित संयंत्र में हो रहा है. उन्होंने कहा कि इसे दिवाली से पहले पेश किया जायेगा. उन्होंने आगे कहा कि व्यावसायिक वाहन उत्पादित कर रहे संयंत्रों की क्षमता के 75 फीसदी का दोहन हो पा रहा है, जबकि यात्री वाहन बना रहे संयंत्र अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन कर रहे हैं.

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