Human trafficking के शिकार लोगों का जानना हो दर्द, डाउनलोड करें यह एप…?

नयी दिल्ली : मानव तस्करी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है और डरा-धमकाकर, लालच देकर या किसी मजबूरी के चलते इस अंधे कुंए में ढकेले जाने वाले लोग अथाह परेशानियों और दुश्वारियों से दो चार होते ही रहते हैं. देश में मानव तस्करी की बढ़ती घटनाओं के प्रति जागरुकता फैलाने के लिहाज से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2018 11:46 AM
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नयी दिल्ली : मानव तस्करी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है और डरा-धमकाकर, लालच देकर या किसी मजबूरी के चलते इस अंधे कुंए में ढकेले जाने वाले लोग अथाह परेशानियों और दुश्वारियों से दो चार होते ही रहते हैं. देश में मानव तस्करी की बढ़ती घटनाओं के प्रति जागरुकता फैलाने के लिहाज से ‘मिसिंग गेम’बनाया गया है. यह विश्व का पहला ऐसा गेम है, जो गेमिंग के अनुभवों को मानव तस्करी से जोड़ता है. हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में इस गेम को विकसित किया गया है, जो इसकी पहुंच को भारत के कोने-कोने तक सुनिश्चित करता है. नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के बाद मानव तस्करी का नंबर है और भारत को एशिया में मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है.

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संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, ‘किसी व्यक्ति को डराकर, बल के प्रयोग से या दोषपूर्ण तरीके से किसी कार्य के लिए मजबूर करना, उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंदी बनाकर रखने की गतिविधि मानव तस्करी कहलाती है. संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थ और अपराध संबंधी विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रत्येक देश मानव तस्करी के दंश झेल रहा है. चाहे बात वहां से तस्करी की जाने की हो, तस्करी कर वहां लाये जाने की हो या उस जगह से गुजरने की हो.

मिसिंग पब्लिक आर्ट प्रोजेक्ट ने सैंडविक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर यह गेम लांच किया है, जिसे खेलने वाला व्यक्ति खुद को अवैध तरीके से बेचे गये लापता व्यक्ति की भूमिका में देखता है और अपने सामने आने वाली तमाम दिक्कतों पर पार पाने की कोशिश करता है. इस गेम को हाल ही में मुंबई में लॉन्च किया गया. इस मौके पर मुंबई में स्वीडन की महावाणिज्य दूत उलरिका संडबर्ग ने कहा कि मानव तस्करी के पीछे के मूल कारणों में गरीबी, आर्थिक अवसरों की कमी, सामाजिक सुरक्षा तंत्रों की गैर-मौजूदगी और धन का लेन-देन शामिल है.

उल्लेखनीय है कि स्वीडन दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसने वर्ष 1999 में यौन सेवाएं देने की बजाय इसे लेने को अपराध की श्रेणी में रखा. इसका मकसद शोषित को अपराधी मानने की बजाय उन लोगों को अपराधी की श्रेणी में रखना था, जो शोषण अथवा पैसा कमाने की गरज से मानव तस्करी जैसा काम करते हैं. मानव तस्करी गुलामी का आधुनिक रूप है और इसमें बच्चे और महिलाएं बलपूर्वक करायी गयी मजदूरी, यौन उत्पीड़न, घरेलू दासता, भीख मांगने, मादक पदार्थों को लाने-ले जाने जैसी आपराधिक गतिविधियों में झौंक दिए जाते हैं.

वर्ष 2000 में इसे एक अंतरराष्ट्रीय अपराध माना गया और राष्ट्रीय स्तर पर इसे गैर-कानूनी घोषित किया गया. मिसिंग पब्लिक आर्ट प्रोजेक्ट का मकसद गेम और संवाद के जरिये ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में बड़े स्तर पर मानव तस्करी की बुराई के खिलाफ जागरुकता फैलाना है. मिसिंग गेम रोमांच, उत्सुकता और पहेली का मिला जुला है. इसे खेलने वाले को यह एहसास कराने की कोशिश की जाती है कि एक लापता व्यक्ति को क्या कुछ झेलना पड़ता है, जब उसे देह व्यापार के क्रूर और अमानवीय संसार में ढकेल दिया जाता है. मिसिंग गेम एपल ऐप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है.

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