EVM क्या है?
ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल भारत में चुनावों के लिए किया जाता है. इससे पहले बैलट पेपर का इस्तेमाल कर चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाती थी. हमारे देश में ईवीएम को साल 1980 के दशक में प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया. पिछले लगभग दो दशक से लगभग हर चुनाव में ईवीएम का ही प्रयोग होता है.
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EVM हैकिंग को लेकर होते रहे हैं दावे
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ महीने पहले अमेरिका स्थित एक साइबर एक्सपर्ट ने दावा किया था कि साल 2014 के आमचुनाव में मशीनों को हैक किया गया था. हालांकि, भारतीय चुनाव आयोग ने इन दावों का खंडन किया. लेकिन इन मशीनों में तकनीक के इस्तेमाल को लेकर हमेशा से आशंकाएं जाहिर की गई हैं. रिपोर्ट की मानें, तो भारत की अलग-अलग अदालतों में इस मुद्दे पर लगभग आठ से दस मामले चल रहे हैं. लेकिन चुनाव आयोग हर बार इन मशीनों को हैकिंग प्रूफ बताता रहा है.
EVM से छेड़खानी हो सकती है क्या?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो EVM को दो तरीकों से हैक किया जा सकता है. इनमें पहला है- वायर्ड और दूसरा है- वायरलेस. इसका मतलब यह हुआ कि दोनों तरीकों में कनेक्शन सेट किया जाता है.
वायर्ड हैकिंग : इसके लिए ईवीएम की कंट्रोल यूनिट से छेड़छाड़ की जाती है. इसके लिए ऐसे डिवाइस का इस्तेमाल होता है, जिसकी प्रोग्रामिंग उसी भाषा में हो जिसमें ईवीएम की माइक्रोचिप की कोडिंग की गई है. भारत में जिन इवीएम का इस्तेमाल हो रहा है, उनमें अगर कोई ऐसा एक्सटरनल डिवाइस लगाया जाए, तो यह काम करना बंद कर देती है. ऐसे में इस तरीके से इसे हैक नहीं किया जा सकता.
वायरलेस हैकिंग : ईवीएम में कोई रेडियो रिसीवर नहीं दिया गया है. इन मशीनों में चिप या ब्लूटूथ कनेक्ट नहीं किया जा सकता है. चुनाव आयोग के हिसाब से वायरलेस तरीके से ईवीएम हैक होने की संभावना न के बराबर है. हाल के दिनों में जो मशीनें चुनावों में उपयोग में लायी जा रही हैं, वे वीवीपैट युक्त होती हैं और किसी भी छेड़छाड़ की स्थिति में अपने आप बंद हो जाती हैं.
ऐसा भी कई बार सुनने में आया है कि दोबारा बटन दबाने पर दूसरा वोट जाता है. ऐसे में बता दें कि आपका पहला दबाया गया बटन ही काम करेगा. हर एक वोट के बाद कंट्रोल यूनिट को फिर अगले वोट के लिए तैयार करना होता है. इस तरह इस पर फटाफट बटन दबाकर वोट करना मुश्किल है. वोटर जैसे ही बटन दबाता है, उसके बाद अगले की तैयारी की जाती है. कुल मिलाकर कहें, तो ईवीएम में इतने कड़े सुरक्षा प्रबंध किये गए हैं कि इससे छेड़छाड़ करना बहुत मुश्किल है.
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