मोटर वाहन एक्ट क्या है?
बताते चलें कि भारत में गाड़ी चलाने के लिए भारत में मोटर वाहन अधिनियम 1988 के जरिए कायदा-कानून निर्धारित किया गया था. यह अधिनियम सड़क परिवहन वाहनों के लगभग हर एक हिस्से को नियमित करता है. यह ड्राइवरों और कंडक्टरों के लाइसेंस, मोटर वाहनों के रजिस्ट्रेशन, उनके परमिट को नियंत्रित करने के प्रावधान, ट्रैफिक नियमों, संबंधित इंश्योरेंस, देनदारियों और जुर्माना आदि पर दिशा-निर्देश प्रदान करता है. मोटर वाहन अधिनियम किसी भी चालक के लिए वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य बनाता है और मोटर वाहन अधिनियम के तहत रजिस्टर हुए बिना कोई भी वाहन नहीं चलाया जा सकता है.
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नाबालिग को गाड़ी चलाने पर सजा
मोटर वाहन अधिनियम की धारा 180 यह कहती है कि आपने बिना लाइसेंस के किसी नाबालिग या दोस्त को अपनी गाड़ी चलाने को दे दी, तो 3 महीने की सजा या 5 हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है. मोटर वाहन कानून के अनुसार, बिना लाइसेंस के किसी बच्चे को गाड़ी चलाने के लिए देना गलत है. इतना ही नहीं, अगर कोई व्यक्ति बिना वैध लाइसेंस के गाड़ी चला रहा है, तो उसके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम की धारा 3 आर/डब्ल्यू 181 के तहत कार्रवाई की जाएगी. वहीं, कोई व्यक्ति अपनी गाड़ी किसी ऐसे व्यक्ति को चलाने के लिए देता है, जिसके पास वैध लाइसेंस नहीं है, तो इस मामले में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 5 आर/डब्ल्यू 180 के तहत सजा देने और जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
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बिना बीमा के गाड़ी चलाने पर क्या होगी कार्रवाई
इसके साथ ही, अगर आपके पास गाड़ी के कागजात और उसका बीमा नहीं है, तो इसके लिए भी कानून में प्रावधान किया गया है. मोटर वाहन कानून की धारा 130(3) आर/डब्ल्यू 177 के तहत बिना किसी कागजात या बीमा के गाड़ी चलाने पर कार्रवाई की जा सकती है. इसके साथ ही, बिना वैध परमिट के गाड़ी चलाने पर मोटर वाहन कानून की 130 आर/डब्ल्यू 177 मोटर के तहत कार्रवाई की जाती है. इसके अलावा, गाड़ी का वैध फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं रहने पर भी इसी धारा के तहत कार्रवाई करने का प्रावधान है. इसलिए, आइंदा से सड़क पर आप गाड़ी चला रहे हों, तो इन बातों पर ध्यान जरूर दें.
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