सेना के अधिकारियों के मुताबिक, 3डी रैपिड कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी की मदद से एमईएस को केवल चार हफ्तों में ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट वाली दो पूरी तरह से 3D कंक्रीट प्रिंटेड, आधुनिक आवासीय इकाइयों का निर्माण करने में मदद मिली. 3डी प्रिंटेड हाउस का उद्घाटन इंजीनियर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह की उपस्थिति में किया गया.
कंस्ट्रक्शन के पारंपरिक तरीके की तुलना में 3डी प्रिंटेड घर तैयार होने में बहुत कम समय लगता है. कंक्रीट 3डी प्रिंटिंग 3 डायमेंशनल रियल लाइफ सट्रक्चर्स के निर्माण के लिए एक ऑटोमैटिक कंस्ट्रक्शन मेथॉड है. यह तकनीक एक ठोस 3डी प्रिंटर का इस्तेमाल करती है, जो यूजर कल्जरूरत के अनुसार कंप्यूटराइज्ड 3डी डिजाइन फाइल्स के आधार पर सिस्टमैटिक तरीके से 3D स्ट्रक्चर बनाती है. भारत के पहले 3डी प्रिंटेड हाउस का निर्माण आईआईटी मद्रास के स्टार्टअप तवास्टा ने किया था.
मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (MES) द्वारा बनाये गए इन दोनों घरों की खास बात यह है कि सेना की इंजीनियरिंग टीम ने इन दोनों को केवल 4 हफ्ते में ही पूरा कर दिया. इन चार हफ्तों में सिर्फ मकान ही नहीं बनाया गया, बल्कि इसमें रंगाई-पुताई और अन्य फनिशिंग के काम भी किये गए. 3डी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी पर बनाये गए ये घर तैयार होने में पारंपरिक तरीके से बनाये गए घरों से काफी कम समय लेते हैं.