दो दशक से भी पुराना है एहसानों का रिश्ता
टाटा मोटर्स (Tata Motors) और फोर्ड मोटर कंपनी (Ford Motor Company) के बीच एहसानों का यह रिश्ता, दो दशक से भी पुराना है. साल 2008 में जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) को खरीद कर फोर्ड पर एहसान करने के बाद Tata Motors एक बार फिर Ford Motor Company की मदद के लिए आगे आयी है. खराब सेल्स की वजह से Ford ने पिछले साल ही इंडियन मार्केट से बाहर जाने का फैसला किया था. वहीं, टाटा मोटर्स का एक कार प्लांट साणंद में पहले से काम कर रहा है, जिसे उसने टाटा नैनो (Tata Nano) को बनाने के लिए पश्चिम बंगाल के सिंगूर से यहां शिफ्ट किया था. दरअसल, दोनों कंपनियाें के बीच एहसानों का यह रिश्ता 1999 का है.
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इतना सीधा भी नहीं है दोनों का संबंध
Tata Motors और Ford Motor Company के बीच एक-दूसरे पर इस तरह के एहसानों का यह सिलसिला 1999 से चल रहा है. रतन टाटा (Ratan Tata) ने भारत की पहली पूर्ण स्वदेशी कार टाटा इंडिका (Tata Indica) को लॉन्च किया था, लेकिन यह कार मार्केट में कुछ खास सफल नहीं हो पाई. पैसेंजर कारों में कंपनी इससे पहले टाटा सूमो (Tata Sumo), टाटा सफारी (Tata Safari) और टाटा सिएरा (Tata Sierra) जैसे एसयूवी (SUV) को भारतीय बाजार में उतार चुकी थी. बहरहाल, किन्हीं कारणों से 1999 में रतन टाटा ने अपने कार बिजनेस को बेचने के लिए फोर्ड से संपर्क किया. कहते हैं कि इस बैठक के दौरान फोर्ड के प्रमुख बिल फोर्ड (Bill Ford) ने रतन टाटा से कहा कि जब वो कार के बारे में कुछ जानते ही नहीं, तो इसे बनाना शुरू ही क्यों किया. यह बात रतन टाटा को लग गई और उन्होंने अपना कार बिजनेस नहीं बेचने का फैसला किया.
Tata Group ने 2008 में खरीदी Jaguar Land Rover
इस घटना के बाद समय ने करवट ली और इसके बाद समय आया साल 2008 का, जब दुनियाभर में आर्थिक मंदी छा गई थी. इस दौरान Ford दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई और तब रतन टाटा ने फोर्ड से Jaguar Land Rover जैसा लक्जरी कार ब्रांड खरीद लिया. तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो इस डील को लेकर बिल फोर्ड ने रतन टाटा का धन्यवाद किया था और उनसे कहा था कि JLR को खरीदकर टाटा कंपनी के लिए एक बड़ा एहसान कर रही है. टाटा ने न सिर्फ JLR कार कंपनी को खरीदा, बल्कि इसे सफलता की ऊंचाइयों पर भी पहुंचाया.