इसमें स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं ने यह माना कि आमने-सामने की बातचीत ज्यादा राहत देनी वाली होती है लेकिन इसके लिए वे कम वक्त देते हैं. इसमें कहा गया, अध्ययन में शामिल लोगों में से 84 प्रतिशत ने कहा कि वे अपने जीवनसाथी के साथ और वक्त गुजारना चाहते हैं. लोग समस्या को स्वीकार कर रहे हैं और इसे बदलने के लिए भी तैयार हैं. 88 प्रतिशत लोगों ने यह माना कि स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल का असर जीवनसाथी के साथ उनके रिश्ते पर पड़ रहा है. इसमें 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने जीवनसाथी के साथ अर्थपूर्ण बातचीत करके ज्यादा वक्त बिताना चाहते हैं.
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अध्ययन के मुताबिक, स्मार्टफोन उपयोगकर्ता प्रतिदिन औसतन 4.7 घंटे इस उपकरण को देखते हुए बिताते हैं और यह अवधि पति और पत्नी दोनों के लिए एक समान है. 73 प्रतिशत ने कहा कि उनके जीवनसाथी की यह शिकायत रहती है कि वे उनके साथ अधिक समय बिताने के बजाय फोन में ज्यादा उलझे रहते हैं.
इसमें कहा गया, अध्ययन में पता चला कि 70 प्रतिशत लोग जब स्मार्टफोन देख रहे होते हैं और ऐसे में उनका जीवसाथी उनसे कुछ कहता है तो वे झल्ला जाते हैं. 66 प्रतिशत ने यह महसूस किया कि स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से जीवनसाथी के साथ उनका संबंध कमजोर हुआ है. यह अध्ययन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद तथा पुणे में 1,000 लोगों पर किया गया.
वीवो इंडिया के प्रमुख (ब्रांड रणनीति) योगेंद्र श्रीरामुला ने कहा, आज के जीवन में स्मार्टफोन का महत्व निस्संदेह है लेकिन इसके अत्यधिक इस्तेमाल को लेकर उपयोगकर्ताओं को थोड़ा सावधान रहना चाहिए.
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