kodha Vidhan Sabha Chunav 2025: कोढ़ा विधानसभा, जो बिहार राज्य के सारण जिले में स्थित है, राजनीति के लिहाज से एक दिलचस्प और उतार-चढ़ाव भरी सीट रही है. इस सीट पर हर चुनाव में अलग-अलग राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों का दबदबा देखने को मिलता है. यहां के चुनाव परिणाम हमेशा बदलते रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र राजनीतिक दृष्टिकोण से खासा दिलचस्प बन गया है.
कोढ़ा विधानसभा इतिहास
कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र ने अब तक 14 बार चुनाव देखे हैं. इनमें कांग्रेस ने छह बार, बीजेपी ने तीन बार और जनता दल ने दो बार जीत दर्ज की है. लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी और जेडीयू ने एक-एक बार इस सीट पर जीत हासिल की है. एक समय में कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी का प्रभाव बढ़ा है.
बिहार के पहले अनुसूचित जाति मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री ने कोढ़ा से लगातार तीन बार जीत हासिल की थी. वे 1967 और 1972 में कांग्रेस के टिकट पर और 1969 में लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर जीते. सीताराम दास ने भी 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर और 1990 व 1995 में जनता दल के प्रत्याशी के रूप में तीन बार इस सीट से जीत दर्ज की थी.
2000 में जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब कोढ़ा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कब्जा था. इसके बाद से, यहां पर राजनीतिक दलों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली. भाजपा, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस जैसी प्रमुख पार्टियां इस सीट को लेकर बार-बार अपनी ताकत आजमाती रही हैं. हर चुनाव में जनता ने अपनी राय अलग-अलग तरीके से जाहिर की, जो इस सीट की राजनीति को और भी जटिल बनाती है.
2010 के चुनाव में, कोढ़ा विधानसभा सीट पर एक बार फिर से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने विजय हासिल की थी. आरजेडी के उम्मीदवार ने भाजपा के प्रत्याशी को हराया और यहां पार्टी का दबदबा दिखाया.
2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने भारी सफलता प्राप्त की. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने जीत हासिल की.
कोढ़ा का राजनीति में उतार-चढ़ाव
कोढ़ा विधानसभा की राजनीति का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि यहां पर कभी भी परिणाम का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होता है. प्रत्येक चुनाव में इस सीट के नतीजे जनता के बदलते रुझानों और राजनीतिक समीकरणों को दर्शाते हैं. कभी यह सीट भाजपा के पक्ष में रही है, तो कभी आरजेडी और महागठबंधन ने अपनी पकड़ बनाई है. यहां की जनता के मूड और मुद्दों के आधार पर चुनावी रुझान बदलते रहे हैं, जिससे यह सीट और भी दिलचस्प बन जाती है.
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कोढ़ा क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है. यहां मारवाड़ी, सिंधी व्यापारी और विभाजन के समय बसाए गए बंगाली हिंदू शरणार्थी समुदाय भी निवास करते हैं.जहां एक ओर कोढ़ा की जनता अपने मौजूदा विधायकों को दोबारा मौका देने में संकोच करती है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी को 2025 में एक और बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कोढ़ा क्षेत्र में 51,020 वोटों से पीछे रहना पड़ा, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव (राजेश रंजन) ने पूर्णिया सीट पर जीत हासिल की. ऐसे में बीजेपी के लिए रास्ता कठिन है .इस विधानसभा सीट पर कई जातियां अहम भूमिका में हैं. इनमें मुस्लिम, ब्राह्मण, कोइरी, कुर्मी, रविदास, पासवान और यादव वोटर प्रमुख हैं.
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