मांग पत्र में उन्होंने कोढ़ा से सेमापुर चौक तक आरसीडी पथ का चौड़ीकरण, कोलासी से हरदा तक एनएच 81 का विस्तार, चेथरियापीर से दिघरी तक एनएच 31 के चौड़ीकरण, मोरसंडा में बरंडी नदी पर और मधुरा में कारी कोशी नदी पर पुल निर्माण की मांग की है. साथ ही कोढ़ा को अनुमंडल बनाने, डिग्री कॉलेज और मखाना-आलू आधारित फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की भी बात कही है.
धीमी विकास रफ्तार से जनता निराश
राजनीतिक दृष्टिकोण से कोढ़ा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती रही है. 2015 में कांग्रेस की पूनम कुमारी ने बीजेपी के महेश पासवान को हराया था. वहीं 2020 में बीजेपी की कविता देवी ने पूनम कुमारी को 28,943 मतों से शिकस्त दी.
कोढ़ा विधानसभा मखाना, मक्का और केले जैसी नकदी फसलों की खेती के लिए जानी जाती है। बावजूद इसके, विकास की गति सुस्त है। क्षेत्र का एक हिस्सा पूर्णिया संसदीय क्षेत्र में चला गया है, जिससे प्रतिनिधित्व बंट गया है और विकास योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
कोढ़ा विधानसभा सीट इन दिनों बीजेपी विधायक कविता पासवान के मांग पत्र और आगामी चुनावी मुकाबले को लेकर चर्चा में रहा. उन्होंने कोढ़ा-फलका क्षेत्र की लंबित सड़क, पुल, अनुमंडल और शिक्षा संबंधी समस्याओं के समाधान की मांग मुख्यमंत्री से की थी.
राजनीतिक रूप से यह सीट कांग्रेस और बीजेपी के बीच झूलती रही है.मखाना, केला, मक्का की खेती के बावजूद क्षेत्रीय विकास की रफ्तार धीमी है, जिसे लेकर जनता में निराशा है और उम्मीद भी.
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कोढ़ा विधानसभा सीट का इतिहास
बिहार के सीएम रहे भोला पासवान यहां से 3 बार रहे विधायक. अपने दौर के कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे भोला पासवान शास्त्री 1967 से 1972 तक लगातार तीन बार कोढ़ा सीट से जीत हासिल की. इस सीट से विधायक रहते हुए वह थोड़े-थोड़े समय के लिए 3 बार बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे.