मैं उसूल की राजनीति करता हूं- राजद विधायक
भाई वीरेंद्र ने आगे कहा ‘दानिश रिजवान के उस ऑफर को मना करते हुए मैंने कहा मेरे नेता लालू प्रसाद यादव हैं. वो कहेंगे कि यहां डूबना है तो डूबेंगे, यहां रहना है तो यही रहेंगे. मैं आपकी बात नहीं मानूंगा. मुझे मंत्री पद नहीं चाहिए. मैं उसूल की राजनीति करता हूं.” उन्होंने आगे कहा, “2010 में 22 विधायक में 13 भाग रहे थे, तब भी मैं लालू प्रसाद यादव के साथ खड़ा रहा. मैं हमेशा सच बोलने का आदी रहा हूं. हम अपने दल में भी सही बात रखते हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव के सामने अपनी बात रख देता हूं, करना ना करना उनकी मर्जी के ऊपर है.”
भाई वीरेंद्र के बयान पर हुआ था हंगामा
भाई वीरेंद्र की गिनती लालू यादव के करीबी लोगों में हैं. शुक्रवार को खत्म हुए बिहार विधानसभा के मॉनसून सेशन में भाई वीरेंद्र के बयान पर सदन में खूब हंगामा हुआ था. उनसे माफी मांगने को कहा गया था. सत्ता पक्ष के नेता इस दौरान तेजस्वी यादव से भी माफी की मांग कर रहे थे, लेकिन राजद विधायक अपने बयान पर कायम रहे.
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भाई वीरेंद्र ने कहा था- सदन किसी के बाप का है क्या
विधानसभा में जब नेता विपक्ष तेजस्वी यादव संबोधित कर रहे थे तब अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने उन्हें अपना संबोधन तय सीमा में पूरा करने को कहा था ताकि विपक्ष के दूसरे मेंबर को भी बोलने का मौका मिले. स्पीकर की बात भाई वीरेंद्र को पसंद नहीं आई और उन्होंने ‘किसी के बाप का है क्या सदन’ कह दिया. इसके बाद पूरे सदन में हंगामा होने लगा. भाई वीरेंद्र के इसी बयान पर सत्ता पक्ष के नेता माफी की मांग कर रहे थे लेकिन वो अपने बयान पर कायम रहे.
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