
Indian Railway: भारत में ट्रेन के देरी से चलने की बात गुजरे जमाने की हो रही है. इसके लिए रेलवे जल्द ही पैसेंजर और गुड्स ट्रेन के लिए ‘जीरो बेस्ड टाइम टेबल’ को ऑपरेशनल बनाने जा रही है. मिंट ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ वीके यादव के हवाले से बताया है भारतीय रेल ‘जीरो बेस्ड टाइम टेबल’ के जरिए लंबी दूरी की ट्रेन के समय में औसतन 30 मिनट से लेकर छह घंटे तक की बचत करेगी.
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पैसेंजर और गुड्स ट्रेन के अच्छे दिन
रेलवे की ‘जीरो बेस्ड टाइम टेबल’ के जरिए पैसेंजर और गुड्स ट्रेन के लिए डेडिकेटेड कॉरिडोर बनाने की बात हो रही है. इससे गुड्स ट्रेन के वक्त में भी कमी होगी. इस व्यवस्था से रेलवे में ऐतिहासिक बदलाव आने जा रही है. इसका सीधा असर बिजनेस पर भी पड़ेगा. नई व्यवस्था से गुड्स ट्रेन के सफर में भी काफी सुधार आएगा. अभी गुड्स ट्रेन को जितना वक्त लगता है उससे कम वक्त आने वाले दिनों में लगेगा.
जीरो बेस्ड टाइम टेबल को जानते हैं?
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक ‘जीरो बेस्ड टाइम टेबल’ आधुनिक तकनीक का हिस्सा है. इसके तहत टाइम टेबल बनाने के दौरान माना जाएगा कि देश में कोई ट्रेन नहीं चल रही है. पैंसेजर चार्ट भी शून्य है. ट्रेन की डिमांड और उपलब्धता के आधार पर ऑपरेशन शुरू किया जाएगा. इस तकनीक में हर ट्रेन को तेज गति से चलाने के लिए टाइम सेट किया जाता है. इससे किसी ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए दूसरी ट्रेन को रोकना नहीं पड़ेगा. जीरो बेस्ड टाइम टेबल में हर ट्रेन का टाइम अलग-अलग सेट होता है.
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ट्रेन को रफ्तार और वेटलिस्ट भी कम
भारतीय रेल की ‘जीरो बेस्ड टाइम टेबल’ से देरी से चलने वाली ट्रेन की स्थिति में सुधार होगी. इससे वेटलिस्ट को कम करने में भी मदद मिलेगी. एक बार जीरो बेस्ड टाइम टेबल शुरू हो गया तो लंबी दूरी के ट्रेन के सफर में औसतन 30 मिनट से लेकर छह घंटे तक की बचत होगी. ‘जीरो बेस्ड टाइम टेबल’ से ट्रेन की रफ्तार भी बढ़ेगी. बता दें रेलवे ‘जीरो बेस्ड टाइम टेबल’ पर कोरोना संकट में ट्रेन चला चुकी है.
Posted : Abhishek.
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