वर्ल्ड ओशन डे स्पेशल : नॉटिकल साइंस में संवारें भविष्य

आज वर्ल्ड ओशन डे यानी विश्व महासागर दिवस है. समुद्र के प्रति जागरुकता लाने के लिए दुनियाभर में हर साल 8 जून को वर्ल्ड ओशन डे मनाया जाता है. समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में करियर की कई राहें हैं. आपको अगर दूर तक फैला समुद्र, उसकी लहरें और दूरी अच्छी लगती है और आप विज्ञान के छात्र हैं, तो आपको नॉटिकल साइंस के बारे में जरूर जानना चाहिए. वर्ल्ड ओशन डे पर जानें नॉटिकल सांइस में मौजूद कोर्स एवं करियर के बारे में.

By दिल्ली ब्यूरो | June 8, 2020 3:11 PM
an image

आज वर्ल्ड ओशन डे यानी विश्व महासागर दिवस है. समुद्र के प्रति जागरुकता लाने के लिए दुनियाभर में हर साल 8 जून को वर्ल्ड ओशन डे मनाया जाता है. समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में करियर की कई राहें हैं. आपको अगर दूर तक फैला समुद्र, उसकी लहरें और दूरी अच्छी लगती है और आप विज्ञान के छात्र हैं, तो आपको नॉटिकल साइंस के बारे में जरूर जानना चाहिए. वर्ल्ड ओशन डे पर जानें नॉटिकल सांइस में मौजूद कोर्स एवं करियर के बारे में.

जानें, क्या है नॉटिकल साइंस

नॉटिकल साइंस यानी समुद्री विज्ञान सुरक्षित रूप से जहाज चलाने या नेविगेट करने एवं जहाज को संचालित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ज्ञान है. इस विषय में खासतौर पर नेविगेशन, नाविक कला (सीमैनशिप), जहाज निर्माण शामिल हैं. इसमें एक जहाज के सही दिशा में संचालन से लेकर उसमें इस्तेमाल होनेवाले उपकरणों के प्रयोग का अध्ययन एवं प्रशिक्षण कराया जाता है.

करें नॉटिकल साइंस की पढ़ाई

नॉटिकल साइंस में बीएससी सबसे प्रचलित कोर्स है. बीएससी के बाद एमएससी कर सकते हैं. इस विषय में सर्टिफिकेशन कोर्स भी कराये जाते हैं, जैसे डिप्लोमा इन नॉटिकल साइंस, एडवांस डिप्लोमा इन नॉटिकल साइंस, डेक डिपार्टमेंट डिप्लोमा इन नॉटिकल साइंस. बीएससी नॉटिकल साइंस एक तीन वर्षीय कोर्स है, जो जहाजरानी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आनेवाले नौवहन महानिदेशालय से मान्यता प्राप्त है. बीएससी तीन वर्ष का कोर्स है, जिसे छह सेमेस्टर में बांटा गया है. बीएससी का यह तीन वर्षीय कोर्स पूरी तरह आवासीय है. आपको संस्थान में रह कर ही कोर्स पूरा करना होगा.

बारहवीं के बाद करें कोर्स

ऐसे अभ्यर्थी, जिन्होंने साइंस (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स ) के साथ न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों में 10+2 परीक्षा पास की हो, बीएससी नॉटिकल साइंस कोर्स में प्रवेश के पात्र हैं. कुछ संस्थान 10वीं एवं 12वीं में 50 प्रतिशत अंक पानेवाले छात्रों को भी प्रवेश देते हैं. पाठ्यक्रम के प्रारंभ के समय अभ्यर्थी की आयु 17-25 वर्ष के बीच होनी चाहिए. हालांकि संस्थान के अनुसार ऊपरी आयु सीमा अलग-अलग हो सकती है. नॉटिकल साइंस के कोर्स में एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मिलता है. इसमें साइकोमेट्रिक टेस्ट, मेडिकल एग्जामिनेशन, पैनल इंटरव्यू एवं प्री-सी ट्रेनिंग भी शामिल है.

चुनिंदा संस्थानों में होती है पढ़ाई

नॉटिकल साइंस का पाठ्यक्रम देश के कुछ चुनिंदा संस्थानों में ही संचालित होता. इंडियन मैरीटाइम विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) देश का एक प्रमुख संस्थान है, जो भारत सरकार के जहाजरानी मंत्रालय से संबद्ध है. नॉटिकल साइंस में बीएससी के लिए कुछ अन्य संस्थान हैं- इंडियन मैरीटाइम विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय), चेन्नई , एकेडमी ऑफ मैरीटाइम एजुकेशन एंड ट्रेनिंग, कर्नाटक. वेल्स विश्वविद्यालय, चेन्नई. एचआइएमटी कॉलेज, चेन्नई. आर एल इंस्टीट्यूट ऑफ नॉटिकल साइंस, मदुरई, तमिलनाडु. जीएमके इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई. मरीन इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमइआरआइ), कोलकाता. ट्रेनिंग शिप (टीएस) चाणक्या, नवी मुंबई. मरीन इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, मुंबई. इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) एवं डीजीएस मुंबई संयुक्त रूप से नॉटिकल साइंस में बीएससी का कोर्स संचालित करते हैं.

करियर बनाने के यहां हैं मौके

बीएससी नॉटिकल साइंस पूरा करने के बाद डेक कैडेट, सेकेंड ऑफिसर, चीफ ऑफिसर एवं अंतत: कैप्टन के तौर पर आगे बढ़ सकते हैं. इसके अलावा मरीन इंजीनियर, ओशनोग्राफर, रेडियो ऑफिसर, स्कूबा ड्राइवर के तौर पर करियर शुरू कर सकते हैं. नॉटिकल साइंस में बीएससी करने के बाद अगर मास्टर (एफजी) – एडवांस शिपबोर्ड मैनेजमेंट करते हैं, तो प्राइवेट एवं गवर्नमेंट सेक्टर में कई जॉब विकल्प होंगे. शिप मैनेजर या मरीन सुपरिंटेंडेंट, नॉटिकल सर्वेयर, पोर्ट ट्रस्ट में पायलट, मैरीटाइम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में टीचर बन सकते हैं.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version