D.Y. Chandrachud: पूर्व CJI डी वाई चंद्रचूड़ को बड़ी जिम्मेदारी, अब इस यूनिवर्सिटी में देंगे ‘इंसाफ की सीख’

D.Y. Chandrachud professor NLU: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ अब नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली में प्रोफेसर की भूमिका निभाएंगे. जुलाई 2025 से यूनिवर्सिटी एक खास लेक्चर सीरीज “इन द स्पिरिट ऑफ जस्टिस” शुरू करेगी और इसमें जस्टिस चंद्रचूड़ अपने कानूनी अनुभवों और संवैधानिक समझ के जरिए छात्रों को मार्गदर्शन देंगे. यह भारत की कानूनी शिक्षा के लिए बड़ी पहल मानी जा रही है.

By Shubham | May 16, 2025 9:35 AM
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D.Y. Chandrachud in Hindi: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डॉ. डी वाई चंद्रचूड़ को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) दिल्ली में प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त किया गया है. विश्वविद्यालय ने इसे भारतीय कानून शिक्षा में बड़ा बदलाव बताया है. चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 से 10 नवंबर 2024 तक भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया.

NLU के वाइस चांसलर क्या कहा? (D.Y. Chandrachud Joins NLU)

रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी (NLU) दिल्ली ने 15 मई को उनके जुड़ने की जानकारी दी और उन्हें “प्रतिष्ठित प्रोफेसर” (Distinguished Professor) बताया. NLU के वाइस चांसलर जीएस बाजपेयी ने कहा कि यह जुड़ाव हमारे शिक्षण माहौल को और बेहतर बनाएगा. उनकी समझ और अनुभव से आने वाली पीढ़ी के लॉ स्टूडेंट्स को बड़ा फायदा मिलेगा.

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NLU में शुरू होगी खास लेक्चर सीरीज (D.Y. Chandrachud Joins NLU)

वाइस चांसलर ने बताया कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने संविधान की व्याख्या, नैतिकता और मौलिक अधिकारों को समझाने में जो काम किया है, वो कानून की पढ़ाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसे ध्यान में रखते हुए जुलाई से यूनिवर्सिटी एक नई पहल “इन द स्पिरिट ऑफ जस्टिस: द DYC डिस्टिंग्विश्ड लेक्चर सीरीज” शुरू करेगी. इस सीरीज में जस्टिस चंद्रचूड़ अपने अनुभवों के आधार पर मौजूदा कानूनी मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

डी वाई चंद्रचूड़: सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसलों का हिस्सा रहे

डी वाई चंद्रचूड़ नवंबर 2024 में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पद से रिटायर हुए. उनका कार्यकाल दो साल का रहा. इस दौरान वे 38 संवैधानिक पीठों (Constitution Benches) का हिस्सा रहे. उन्होंने अयोध्या भूमि विवाद, धारा 370 हटाने और निजता के अधिकार जैसे ऐतिहासिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके निर्णयों को भारत की न्याय प्रणाली में बड़ा योगदान माना जाता है.

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