2024-2025 के शैक्षणिक साल में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 6,793 विदेशी छात्र पढ़ रहे थे, जो कुल छात्रों का लगभग 27% हिस्सा हैं. यह फैसला सिर्फ नए एडमिशन को ही नहीं, बल्कि वहां पहले से पढ़ रहे छात्रों की पढ़ाई और वीजा पर भी असर डाल सकता है.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को 72 घंटे में देनी होगी विदेशी छात्रों की जानकारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को विदेशी छात्रों की एडमिशन की योग्यता बनाए रखने के लिए अमेरिकी सरकार को 72 घंटे के भीतर सभी मौजूदा विदेशी छात्रों की जानकारी देनी होगी. अगर यूनिवर्सिटी यह जानकारी तय समय में नहीं देती है, तो विदेशी छात्रों को दूसरी यूनिवर्सिटीज या कॉलेजों में ट्रांसफर करना होगा. ऐसा नहीं करने पर उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है.
क्यों रद्द हुई एडमिशन की पात्रता?
पिछले कुछ समय से अमेरिकी सरकार और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच विदेशी छात्रों के रिकॉर्ड को लेकर विवाद चल रहा था. होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) ने हार्वर्ड को 30 अप्रैल तक विदेशी छात्रों के अवैध और आपराधिक गतिविधियों से जुड़े रिकॉर्ड देने का निर्देश दिया था. यूनिवर्सिटी ने रिकॉर्ड तो सौंपा, लेकिन ट्रंप प्रशासन उसे पूरा और संतोषजनक नहीं मान रहा. इसी कारण अब यूनिवर्सिटी की SEVP (Student and Exchange Visitor Program) सर्टिफिकेशन रद्द करने का निर्णय लिया गया.
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की भूमिका क्यों अहम है?
अमेरिका का होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) SEVP प्रोग्राम को संचालित करता है, जो यूनिवर्सिटीज को विदेशी छात्रों को वीजा देने के लिए अधिकृत करता है. यदि यह सर्टिफिकेशन रद्द हो जाता है, तो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी विदेशी छात्रों को न तो दाखिला दे सकती है और न ही उनके लिए वीजा जारी कर सकती है. इससे हार्वर्ड की अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाई का अवसर देने की क्षमता पर सीधा असर पड़ेगा.
छात्रों और शिक्षा जगत में चिंता
इस पूरे मामले के कारण न केवल वर्तमान विदेशी छात्र परेशान हैं, बल्कि जो छात्र हार्वर्ड में भविष्य की पढ़ाई की योजना बना रहे थे, वे भी असमंजस में हैं. शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिका की उच्च शिक्षा प्रणाली की वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है और विदेशी छात्र अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं.
फैसले के खिलाफ हो सकता है कानूनी कदम
अब उम्मीद की जा रही है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इस फैसले के खिलाफ अमेरिकी अदालत में अपील कर सकती है. साथ ही अन्य प्रमुख विश्वविद्यालय भी इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि विदेशी छात्रों की शिक्षा पर असर न पड़े.
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