Harvard University: हार्वर्ड में पढ़ रहे हैं भारत के इतने स्टूडेंट्स, जानें कैसे मिलता है एडमिशन
Harvard University: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हर साल सैकड़ों भारतीय छात्र एडमिशन लेते हैं, लेकिन ट्रंप सरकार की नई पाबंदियों से उनकी चिंता बढ़ गई है. जानिए कितने भारतीय छात्र हार्वर्ड में पढ़ते हैं और यहां एडमिशन का प्रोसेस क्या है.
By Pushpanjali | May 26, 2025 10:23 AM
Harvard University: दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ में शुमार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के लाखों छात्रों का सपना है. हर साल हजारों छात्र यहां दाखिले के लिए अप्लाई करते हैं. 1636 में स्थापित हार्वर्ड, अमेरिका की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी है और यह अपनी बेहतरीन पढ़ाई, रिसर्च और ग्लोबल नेटवर्क के लिए जानी जाती है. लेकिन इन दिनों हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तनाव चरम पर है. ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि यूनिवर्सिटी में यहूदी विरोधी विचार फैलाए जा रहे हैं और यह संस्था चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर काम कर रही है. इसके चलते ट्रंप ने विदेशी छात्रों के एडमिशन पर अस्थाई रोक लगा दी है. अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने साफ कहा है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक यह प्रतिबंध लागू रहेगा.
कितने भारतीय छात्र होंगे प्रभावित?
इस फैसले का सीधा असर भारत समेत कई देशों के छात्रों पर पड़ सकता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक, यहां इस समय करीब 788 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. हर साल 500 से 800 छात्र भारत से हार्वर्ड में दाखिला लेते हैं. यूनिवर्सिटी में कुल 6,800 इंटरनेशनल स्टूडेंट्स हैं, जो कुल छात्रों का लगभग 27% हिस्सा हैं.
हार्वर्ड में एडमिशन कैसे मिलता है? (Harvard Admission Process)
भारतीय छात्रों के लिए हार्वर्ड में दाखिला आसान नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं. इसके लिए सबसे पहले कॉमन एप्लिकेशन के जरिए आवेदन करना होता है. इसके बाद SAT स्कोर, IELTS या TOEFL स्कोर, और रिकमेंडेशन लेटर की जरूरत होती है. स्टूडेंट वीजा के लिए भी यह सभी दस्तावेज अनिवार्य हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जरूरत आधारित स्कॉलरशिप भी देती है, जिसमें विदेशी छात्र भी आवेदन कर सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए छात्र यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं. फिलहाल ट्रंप सरकार के इस फैसले से छात्रों की चिंता बढ़ गई है. सभी की नजरें अब इस जांच के नतीजों और अमेरिका की अगली नीति पर टिकी हैं.