Independence Day 2024: आजादी के बाद बदल गया भारत का शिक्षा जगत, जानें कितने हुए बदलाव

Independence Day 2024: आजादी के 78 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, इस अवसर पर 15 अगस्त को मनाने की जोरों की तैयारी चल रही है. आज हम आपको यहां बताने वाले हैं आजादी के बाद शिक्षा जगत में क्या क्या बदलाव हुए.

By Shaurya Punj | August 13, 2024 2:16 PM
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Independence Day 2024: आने वाले 15 अगस्त को आजादी के 78 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, और देश स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय पर्व को मनाने में जुटता नजर आ रहा है. इस दिन हर भारतवासी के साथ साथ स्कूली बच्चों के चेहरों पर खुशी की चमक देखने को मिलती है, इसका कारण है कि उन्हें स्कूल में आयोजित होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग होने का मौका मिलता है, भले ही वो किसी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाएं, पर स्कूल में आयोजित आजादी के जश्न को वो देखने जरुर जाते हैं, जिसमें ध्वजारोहण, सांस्कृतिक कार्यक्रम इत्यादी होते हैं. बच्चे इस दिन इसलिए भी उत्साहित होते हैं क्योंकि उन्हें आजादी कैसे मिली इसके बारे में खास उत्सुकता होती है. स्वतंत्रता के बाद हमारे भारत के शिक्षा के क्षेत्र में क्या बदलाव आया है, ये भी जानना जरुरी है. आज हम आपको यहां बताएं

एजुकेशन फॉर ऑल का नारा दिया गया

आपको बता दें आजादी के बाद एजुकेशन फॉर ऑल का नारा दिया गया था. इसके लिए शिक्षा विभाग की स्थापना हुई, बाद में इसे मानव संसाधन मंत्रालय में बदल दिया गय. साथ ही हर राज्य में शिक्षा विभाग की स्थापित कर शिक्षा के क्षेत्र की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने की कोशिश की गई.

एनसीईआरटी की स्‍थापना

शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने के उद्देश्य से साल 1961 में एनसीईआरटी को स्थापित किया गया. इसके बाद साल 1968 में कोठारी शिक्षा आयोग की सिफारिशों के अनुसरण में प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनाई गई और 1975 में 6 वर्ष तक के बच्चों के उचित विकास के लिए समेकित बाल विकास सेवा योजना की शुरुआत हुई. इसके बाद इस क्षेत्र में कई काम करने की आवश्यता थी इसलिए 1986 नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाया गया जिसे 1992 में आचार्य राममूर्ति समिति द्वारा समीक्षा के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कुछ बदलाव किए गए.

सर्व शिक्षा अभियान की स्थापना

नवंबर 2000 से केंद्र सरकार द्वारा ‘सर्व शिक्षा अभियान’ की शुरुआत हुई. इस अभियान में 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था. 2009 में तो ‘शिक्षा का अधिकार’ देकर इसे मौलिक अधिकार ही बना दिया गया, जिससे हर बच्चे को पढ़ने का हक मिला.

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मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की गई

देश के नौनिहालों को शिक्षित करने के लिए हर गांव में आँगनवाड़ी की स्थापना हुई. यहां पर शिक्षा के साथ संतुलित भोजन भी दिया जाने लगा. गांव के सरकारी स्कूलों के बच्चों को सरकार द्वारा मध्याह्न भोजन की व्यवस्था करवाई गई.

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हुई इन संस्थानों कि स्थापना

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी कई बदलाव हुए, संस्थानों कि स्थापना कि गई. भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) कॉलेजों की स्थापना हुई. इसके साथ ही कई कॉलेजों में सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू हुई. आजादी के बाद ही 6 भारतीय प्रबंध संस्थान व 9 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान को स्थापित किय गया.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति

2020 में एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई है और अब मानव संसाधन और विकास मंत्राल का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. इस नीति के तहत स्कूलों में क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई पर फोकस रहने के साथ 5+3+3+4 मॉडल को अपनाया गया है.

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