18-40 वर्ष की आयु के लोग सबसे अधिक तनावग्रस्त
सर्वेक्षण में पांच क्षेत्रों के 18-40 आयु वर्ग के 1,548 कर्मचारियों के उत्तर शामिल थे, जिसमें पाया गया कि 30-39 आयु वर्ग के व्यक्ति नौकरी के तनाव के उच्चतम स्तरों का सामना करते हैं. महिलाओं ने पुरुषों (73.7%) की तुलना में थोड़ा अधिक तनाव स्तर (74.7%) की सूचना दी. एक महत्वपूर्ण बहुमत, लगभग 68.25% ने कहा कि कार्यभार के दबाव के कारण उनके कार्य-जीवन संतुलन पर असर पड़ा है.
वित्तीय असुरक्षा और कार्य-जीवन संतुलन के मुद्दे इन पेशेवरों के बीच मानसिक और शारीरिक तनाव से जुड़े हैं. सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि कार्यस्थल पर भेदभाव, गैर-बाइनरी कर्मचारियों के लिए एक सामान्य तनाव, भी एक कारक हो सकता है, जबकि कम वेतन और खराब लाभ पुरुष कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण तनाव हैं.
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युवाओं ने आयोग को कई उपाय सुझाए हैं
इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए युवाओं ने आयोग को कई उपाय सुझाए हैं. इनमें कार्यस्थलों पर तनाव से राहत प्रदान करने के लिए मनोरंजक स्थान स्थापित करना, मानसिक और मनोवैज्ञानिक तनाव जैसे मुद्दों को देखने के लिए बड़ी कंपनियों के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य अधिकारियों की नियुक्ति करना और छोटे व्यवसायों के लिए सरकार के मॉडल को लागू करना शामिल है. इसके अतिरिक्त, थेरेपी, परामर्श और मानसिक देखभाल को कवर करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य बीमा को कर्मचारी लाभ का अनिवार्य हिस्सा बनाने का सुझाव दिया गया है.
आयोग ने रिपोर्ट में कहा कि ‘आधुनिक कार्य जगत और युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य’ विषय पर 3 और 4 मार्च को यहां कजाककोट्टम में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जाएगी, जिसमें सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर चर्चा की जाएगी और युवा पेशेवरों के बीच बेहतर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने तथा सहायक कार्य वातावरण बनाने के लिए रणनीतियां तलाशी जाएंगी.