शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में IIT खड़गपुर में एक छात्र की मौत से जुड़ी सुनवाई के दौरान जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कोटा में आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर सवाल उठाए. कोर्ट ने साफ कहा कि यह केवल एक राज्य या एक संस्थान की बात नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की जिम्मेदारी है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने राजस्थान सरकार के वकील से पूछा कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि कोटा में ही इतने छात्र आत्महत्या कर रहे हैं? क्या राज्य सरकार ने इस गंभीर समस्या पर गंभीरता से विचार किया है? जस्टिस पारदीवाला ने पूछा, “आप एक राज्य के रूप में क्या कर रहे हैं? ये छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और सिर्फ कोटा में ही क्यों?”
राज्य के वकील ने बताया कि इस साल अब तक कोटा में 14 छात्रों ने आत्महत्या की है और इस मसले की जांच के लिए SIT बनाई गई है. लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुआ और कहा कि बच्चों की जान जा रही है, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता.
FIR में देरी पर भी नाराजगी
IIT खड़गपुर केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी पूछा कि FIR दर्ज करने में चार दिन की देरी क्यों की गई? कोर्ट ने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि चाहे तो थाने के प्रभारी पर अवमानना का मुकदमा चलाया जा सकता है. कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि जांच तेज और सही दिशा में होनी चाहिए.
एक सवाल, कई चिंताएं
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी ने कोचिंग इंडस्ट्री और राज्य सरकार दोनों के लिए चेतावनी की घंटी बजा दी है. बच्चों पर बढ़ता दबाव, नतीजों का डर और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी अब एक राष्ट्रीय चिंता बन चुकी है. जरूरी है कि सरकार, कोचिंग संस्थान और अभिभावक मिलकर इस संकट का समाधान खोजें ताकि भविष्य के सपने बोझ न बनें.
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