सुप्रीम कोर्ट का आदेश: ब्लैकलिस्टिंग, अयोग्यता और फीस जब्ती
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि जो छात्र सीट ब्लॉक कर लेते हैं लेकिन उसे ज्वाइन नहीं करते, उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा. ऐसे उम्मीदवारों की सिक्योरिटी फीस जब्त कर ली जाएगी और वे आने वाली मेडिकल एंट्रेंस परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि इस प्रक्रिया में कोई मेडिकल कॉलेज शामिल पाया गया, तो उसे भी ब्लैकलिस्ट किया जाएगा. कोर्ट ने मेडिकल काउंसलिंग में पारदर्शिता और समयबद्धता लाने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं, ताकि मेरिट-बेस्ड एडमिशन सुनिश्चित हो सके और सीटों की बर्बादी रोकी जा सके. (Supreme Court on NEET PG in Hindi)
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NEET PG Counselling: क्या है सीट ब्लॉकिंग और इसका नुकसान?
सीट ब्लॉकिंग तब होती है जब कोई छात्र किसी कॉलेज की सीट को अस्थायी रूप से स्वीकार कर लेता है, लेकिन जैसे ही उसे अपनी पसंद का दूसरा विकल्प मिलता है, वह पहली सीट को छोड़ देता है. इससे पहले राउंड में आवंटित सीटें खाली रह जाती हैं, जो सिर्फ बाद के राउंड में ही दोबारा उपलब्ध होती हैं. इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा नुकसान उन छात्रों को होता है, जिन्हें पहले से कम पसंद का कॉलेज मिल गया होता है और वे उसमें कमिट हो चुके होते हैं.
इसके अलावा, स्टेट काउंसलिंग में देरी, लास्ट मिनट पर सीट्स का जोड़-घटाव और कोटा या कैटेगरी में पारदर्शिता की कमी से यह समस्या और बढ़ जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने इन सब बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए काउंसलिंग सिस्टम में जरूरी सुधार की बात कही है.
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