Premanand Ji Maharaj Education: IITian शिष्यों से घिरे रहने वाले प्रेमानंद महाराज, खुद कितने पढ़े लिखे
Premanand Ji Maharaj Education: भारत के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रेरणादायक प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं, जो सोशल मीडिया पर देश-विदेश में सुने जाते हैं। सादगी भरे जीवन से शुरुआत करने वाले महाराज आज लाखों लोगों को आध्यात्म का मार्ग दिखा रहे हैं. उनके शिष्यों में IITian और CA भी शामिल हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे वे खुद कितने पढ़े लिखे हैं.
By Pushpanjali | April 8, 2025 5:13 PM
Premanand Ji Maharaj Education: भारत एक ऐसा देश है जहां कई संतों और साधुओं ने जन्म लिया है. उन्होंने अपने प्रवचनों और ज्ञान से लोगों को सही रास्ता दिखाया है. इन्हीं में से एक हैं श्री प्रेमानंद जी महाराज, जिनके प्रवचन आज सोशल मीडिया के माध्यम से देश-विदेश तक सुने जाते हैं. यूं तो आध्यात्मिक संत प्रेमानंद जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, क्योंकि उनके प्रवचन इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खूब देखे और साझा किए जाते हैं. प्रेमानंद जी का जीवन आज भले ही आध्यात्मिक ऊंचाइयों को छू रहा हो, लेकिन उनकी शुरुआत एक बेहद साधारण परिवेश से हुई, जिसने उन्हें सादगी और सेवा का वास्तविक अर्थ सिखाया. ऐसे में जानें कि IITian और CA शिष्यों वाले प्रेमानंद महाराज खुद कितने पढ़े लिखे हैं.
कितने पढ़े लिखे हैं प्रेमानंद जी महाराज ?
प्रेमानंद जी महाराज की शुरुआती शिक्षा उनके गांव में ही हुई. उनका बचपन धार्मिक माहौल में बीता, जहां पूजा-पाठ और भक्ति से जुड़ी बातें रोजमर्रा का हिस्सा थीं. यही वजह रही कि उनका झुकाव भी धीरे-धीरे आध्यात्म की ओर होने लगा. बताया जाता है कि वे मात्र पांचवीं कक्षा से ही अपने पिता के साथ पूजा-पाठ में भाग लेने लगे थे. शिक्षा के साथ-साथ उनका आध्यात्मिक सफर भी चलता रहा, लेकिन जब वे आठवीं कक्षा पूरी कर नौवीं में पहुंचे, तो उन्होंने अपने जीवन को पूरी तरह भक्ति और साधना के लिए समर्पित करने का निर्णय ले लिया. यह निर्णय लेना आसान नहीं था. सबसे पहले उन्होंने अपने परिवार को इसकी जानकारी दी. उनके लिए अपनी मां को मनाना सबसे बड़ी चुनौती थी, लेकिन प्रेमानंद जी ने धैर्य से काम लिया और अपने विश्वास से उन्हें भी राजी कर लिया.
बहुत कम लोगों को यह पता है कि प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था. वे उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी है, जो दोनों ही धार्मिक स्वभाव के थे. प्रेमानंद जी के घर का वातावरण शुरू से ही भक्ति और पूजा-पाठ से जुड़ा हुआ था. उनके दादा जी ने भी संन्यास जीवन अपना लिया था, जिससे प्रेमानंद जी को बचपन से ही अध्यात्म की ओर प्रेरणा मिलती रही.