Success Story in Hindi: बिहार की रहने वाली जिया कुमारी ने तमिलनाडु की 10वीं बोर्ड परीक्षा में कमाल कर दिखाया है. जिया ने तमिल विषय में 100 में से 93 अंक हासिल किए हैं. कुल मिलाकर उन्होंने 500 में से 467 अंक पाए हैं. जिया चेन्नई के काउल बाजार हाई स्कूल की छात्रा हैं, जो राज्य सरकार द्वारा संचालित है.
Success Story: पिता हैं मजदूर, परिवार रहता है एक कमरे में
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जिया के पिता धनंजय तिवारी पिछले 17 सालों से चेन्नई में निर्माण कार्य कर रहे हैं. उनकी कमाई हर महीने लगभग 10 हजार रुपये है. परिवार एक छोटे से एक कमरे के मकान में रहता है. जिया की मां और दो बहनें भी उनके साथ चेन्नई में ही रहती हैं.
मुफ्त शिक्षा और मिड-डे मील से मिली मदद
जिया कहती हैं कि सरकारी स्कूल की मिड-डे मील योजना, मुफ्त किताबें, ड्रेस और जूते ने पढ़ाई में काफी मदद की. “हम निजी स्कूल का खर्च नहीं उठा सकते थे, लेकिन सरकार की मदद से मैं अच्छे से पढ़ पाई,” उन्होंने कहा. जिया बताती हैं कि उन्होंने तमिल भाषा स्कूल में दोस्तों और शिक्षकों से बातचीत करके सीखी. “तमिल शुरू में मुश्किल लगी, लेकिन धीरे-धीरे आसान हो गई. जहां रहना हो, वहां की भाषा सीखना जरूरी है,” जिया कहती हैं.
तमिल-अंग्रेजी सबसे पसंदीदा विषय
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार जिया ने अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान में 99 अंक हासिल किए हैं. उनकी तमिल शिक्षिका गीता एम कहती हैं, “जिया की तमिल सुनकर कोई नहीं कह सकता कि वह बिहार से है. उसने व्याकरण, कविता, निबंध और साहित्य में अच्छी पकड़ बनाई है.” विज्ञान की शिक्षिका एस. आनंदी कहती हैं कि जिया पढ़ाई में बहुत मेहनती और समझदार है.
आगे है NEET और JEE की तैयारी का इरादा
अब जिया पल्लवरम के सरकारी स्कूल में बायो-मैथ्स ग्रुप लेकर पढ़ाई करना चाहती हैं ताकि NEET की तैयारी कर सकें. उनकी बड़ी बहन रिया कुमारी 12वीं में हैं और कंप्यूटर साइंस व मैथ्स ले रखी है. उनका सपना JEE पास करना है. छोटी बहन सुप्रिया कुमारी 9वीं में पढ़ रही है.
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घर में अब तमिल ही बोलचाल की भाषा
जिया की बड़ी बहन रिया बताती हैं कि अब घर में भी ज्यादातर तमिल भाषा में ही बातचीत होती है. “दुकानों पर, स्कूल में, हर जगह हम तमिल में ही बात करते हैं,”. पिता धनंजय तिवारी कहते हैं, “मैं इतना खुश हूं कि शब्द नहीं मिल रहे. मेरी तमन्ना है कि मेरी तीनों बेटियां प्रोफेशनल कोर्स में जाएं. अब हमारे परिवार से कोई भी मजदूरी न करे.”
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