माध्यम मायने रखता है या मेहनत?
UPSC परीक्षा की खास बात यह है कि इसमें किसी भी भाषा माध्यम से परीक्षा देने की सुविधा है. हालांकि आंकड़ों के मुताबिक, अंग्रेजी माध्यम के उम्मीदवारों की सफलता दर अधिक दिखती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हिंदी माध्यम से सफल होना असंभव है. कई हिंदी माध्यम के छात्र IAS, IPS और IFS जैसी सेवाओं में चयनित हुए हैं और ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं.
चुनौतियां क्या हैं?
हिंदी माध्यम के छात्रों को कुछ विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
- अच्छी क्वालिटी के स्टडी मटेरियल की कमी
- टॉपिक की गहराई से समझ के लिए सीमित संसाधन
- इंटरव्यू और मेंस परीक्षा में भाषा कौशल की परीक्षा
लेकिन सही मार्गदर्शन, रणनीति और समर्पण से इन चुनौतियों को पार किया जा सकता है.
हिंदी मीडियम से UPSC पास करने वाले मशहूर ऑफिसर
हिंदी माध्यम से UPSC परीक्षा पास करने वाले कई उम्मीदवारों ने यह साबित किया है कि भाषा कभी भी सफलता की राह में रुकावट नहीं बनती. ऐसे ही कुछ प्रेरणादायक नामों में सबसे पहला नाम आता है गोविंद जायसवाल का, जिन्होंने 2006 में सिर्फ 24 वर्ष की उम्र में 48वीं रैंक हासिल कर IAS बने. बनारस के एक रिक्शा चालक के बेटे गोविंद ने तमाम आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को पार करते हुए हिंदी माध्यम से पढ़ाई की और देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता पाई.
एक और नाम है अवनीश शरण का, जिन्होंने 2009 में 77वीं रैंक प्राप्त कर IAS बने. बिहार के समस्तीपुर से आने वाले अवनीश ने सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई की और बिना किसी विशेष संसाधन के यह सफलता हासिल की. वे आज भी छात्रों को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रेरणा देते रहते हैं.
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