West Bengal Teacher: 9 साल बाद अचानक चली गई 26000 शिक्षकों की नौकरी, जानें सिस्टम में कहां हुई चूक

West Bengal Teacher: सुप्रीम कोर्ट ने 2016 की पश्चिम बंगाल SSC शिक्षक भर्ती को अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के चलते अवैध घोषित कर रद्द कर दिया. इससे करीब 26,000 शिक्षकों और कर्मियों की नौकरी चली गई. फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ी कानूनी और राजनीतिक चुनौती बन गया है. ऐसे में यहां जानें क्या है पूरा मामला.

By Pushpanjali | April 8, 2025 4:39 PM
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West Bengal Teacher: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार को गुरुवार के दिन सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है. देश की सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2016 में आयोजित की गई स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को अवैध करार देते हुए उसे पूरी तरह रद्द कर दिया है कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस भर्ती प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं, भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की भारी कमी रही, जिसके चलते इसे रद्द करना आवश्यक हो गया. इस फैसले का व्यापक असर अब करीब 26,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियों पर पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन सभी की नियुक्तियों को निरस्त कर दिया गया है.

यह निर्णय न केवल सरकार के लिए एक बड़ी कानूनी और राजनीतिक चुनौती बनकर उभरा है, बल्कि उन हजारों परिवारों के लिए भी एक बड़ा संकट बन गया है, जिनका भविष्य इस भर्ती प्रक्रिया पर टिका हुआ था. कोर्ट ने यह भी कहा कि भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई और चयन के दौरान पारदर्शी एवं निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बंगाल में बढ़ी सियासी हलचल

इस पूरे मामले को लेकर राज्य की राजनीति में भी हलचल मच गई है. विपक्षी दलों ने ममता बनर्जी सरकार पर शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने और योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है. अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस फैसले के बाद आगे क्या रुख अपनाती है और प्रभावित कर्मचारियों के लिए क्या वैकल्पिक समाधान प्रस्तुत करती है.

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क्या है पूरा मामला ?

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में हुई स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के चलते अवैध करार देते हुए पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले से करीब 26,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियों पर सीधा असर पड़ा है. नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी और नियमों के उल्लंघन को आधार बनाते हुए यह कड़ा फैसला सुनाया गया है. यह निर्णय राज्य सरकार के लिए कानूनी और राजनीतिक दोनों ही स्तरों पर बड़ी चुनौती बन गया है, वहीं प्रभावित कर्मचारी और उनके परिवार गहरी चिंता में हैं. विपक्ष ने इसे राज्य सरकार की नाकामी बताया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है.

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