सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार
रजरप्पा : मैंने गरीबी के कारण छह साल से कोई पर्व नहीं मनाया. कैंटीन में बर्तन मांजते वक्त न मुझे होली के उमंग का पता चलता था, न ही पटाखे की आवाज सुनायी पड़ती थी. पिता घूम-घूम कर सामान बेचते थे और मां सिलाई कर पेट पोसती थी. घर में इतने पैसे नहीं होते थे कि पर्व मना सकूं. यह बातें दुलमी प्रखंड के बयांग गांव के दिवस कुमार नायक ने टीवी-शो इंडियन आइडल के मंच पर जब जजों से कही, तो नेहा कक्कड़ की आंखों से आंसू छलक आये. उन्होंने दिवस को दीपावली के तोहफे के तौरे पर एक लाख रुपये दिये.
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