Year Ender 2019: हिंदी मनोरंजन की दुनिया में वेब स्ट्रीमिंग ने दर्ज करायी जोरदार मौजूदगी

नयी दिल्ली : स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों ने 2019 में बोल्ड विषयों पर खासतौर से फोकस किया और लेखकों तथा निर्देशकों के लिए एक नयी साहसिक ऑनलाइन दुनिया की पेशकश की.... इन प्लेटफार्मों ने हिंदी सिनेमा और उपग्रह टेलीविजन की सीमाओं को मुखरता के साथ तोड़ा और साहसपूर्वक उस क्षेत्र में कदम रखा, जो मुख्यधारा के मनोरंजन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2019 9:41 PM
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नयी दिल्ली : स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों ने 2019 में बोल्ड विषयों पर खासतौर से फोकस किया और लेखकों तथा निर्देशकों के लिए एक नयी साहसिक ऑनलाइन दुनिया की पेशकश की.

इन प्लेटफार्मों ने हिंदी सिनेमा और उपग्रह टेलीविजन की सीमाओं को मुखरता के साथ तोड़ा और साहसपूर्वक उस क्षेत्र में कदम रखा, जो मुख्यधारा के मनोरंजन में पहले कभी नहीं देखने को मिला था.

यह एक ऐसा साल था जब भारत में ऑनलाइन कंटेंट वास्तव में अपने पैरों पर खड़ा हुआ. जिस समय परंपरागत थियेटर और केबल/उपग्रह टेलीविजन थकी हुई पुरानी थीम और टीआरपी के युद्ध में उलझे हुए थे, उसने दर्शकों को सही अर्थों में विकल्प दिया.

‘लैला’, ‘दिल्ली क्राइम’, ‘मेड इन हेवेन’ और ‘दि फैमिली मैन’ जैसे कार्यक्रमों ने विषयवस्तु और वर्णन की दृष्टि से नयी लकीर खींची. फिल्म निर्माताओं ने ऐसे विषयों को खंगालना शुरू किया, जिन्हें आमतौर पर व्यापक दर्शकों की नाराजगी के डर से छोड़ दिया जाता था.

उदाहरण के लिए ‘मेड इन हेवेन’ के नौ एपिसोड में गे संघर्ष, यौन संबंधों की इच्छा और यौन शोषण जैसे विषयों को उठाया गया. ‘लैला’ एक अलग तरह का शो था, जिसकी प्रमुख भूमिका में हुमा कुरैशी ने ऐसी महिला का किरदार निभाया है, जो ऐसी दुनिया में अपने खोए हुए बच्चे की तलाश कर रही है, जहां रक्त की शुद्धता किसी भी दूसरी चीज से बढ़कर है. वर्ष 2019 के अन्य बड़े शो में ‘सैक्रेड गेम्स’ शामिल है. नेटफिलिक्स का यह शो विक्रम चंद्रा के उपन्यास पर आधारित था.

इस शो के दूसरे संस्करण से जितनी उम्मीद थी, ये उतना खरा साबित नहीं हुआ, लेकिन लेखन और निर्देशक की टीम ने उन्मादी राष्ट्रवाद और पुलिस-राजनेता-गैंगेस्टर-धर्म गुरुओं की साठगांठ के मुद्दे को उठाने में यह शो कामयाब रहा. इसके एक एपिसोड में मॉब लिंचिंग के विषय को भी उठाया गया. ग्रोवर ने इस साल एक साक्षात्कार में कहा था कि शो को प्रासंगिक बनाया गया, क्योंकि लेखक यह तय करना चाहते थे कि इसका समकालीन दुनिया के साथ जुड़ाव हो.

भारतीय-कनाडाई फिल्म निर्माता रिची मेहता ने सात हिस्सों में एक सिरीज ‘दिल्ली क्राइम’ का निर्देशन किया. इसमें दिल्ली में हुए निर्भया कांड की कहानी दिखाई गई. मेहता ने इसकी कहानी लिखने के लिए चार साल तक शोध किया. अमेजन पर ‘दि फैमिली मैन’ और नेटफिलिक्स पर ‘बार्ड ऑफ ब्लड’, दो ही शो की कहानी भारतीय जासूसों पर आधारित है, जो आतंकवादियों को बाहर करने की कोशिश कर रहे हैं.

‘दि फैमिली मैन’ में मनोज बाजपेई एक एनआईए फील्ड एजेंट की भूमिका में हैं. वह अगले आतंकी हमले को नाकाम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें अधिक जोखिम और कम वेतन वाले इस काम की कुंठा और पारिवारिक टकराव को भी अच्छी तरह दिखाया गया है.

नेटफिलिक्स पर ‘बार्ड ऑफ ब्लड’ एक ऐसे जासूस की कहानी है, जो एक मिशन में असफल होने पर शेक्सपियर को पढ़ने लगता है, लेकिन एक खास परिस्थिति में उसे वापस लौटना पड़ता है. स्ट्रीमिंग की दुनिया अब हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे बड़े खिलाड़ियों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसमें जीफाइव और ऑल्टबालाजी जैसे घरेलू प्लेटफार्म भी जुड़ गए हैं और अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहे हैं.

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