Abhay 2 Review
वेब सीरीज – अभय 2
निर्देशक – केन घोष
कलाकार – कुणाल खेमू, राम कपूर, चंकी पांडे, राघव, आशा नेगी, निधि और अन्य
रेटिंग – तीन
क्राइम, सस्पेंस और प्रभावी कलाकार वेब सीरीज अभय की यही खासियत रहे हैं. ‘अभय 2’ भी अपनी इन्ही खूबियों के साथ वापस लौटा है. अभय के इस सीजन के 8 एपिसोड्स को टुकड़ों में रिलीज किया गया था. 14 अगस्त को पहले तीन एपिसोड फिर 4 सितंबर को दो एपिसोड. इन एपिसोड्स में कहानी ऐसे मोड़ पर छोड़ दी गयी थी कि दर्शक यह जानने को उत्सुक हो जाते हैं कि आखिरकार कहानी में अब क्या होगा. वेब सीरीज के आखिरी तीन एपिसोड्स भी अब रिलीज कर दिए गए हैं. जिनको देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि ये एपिसोड्स इंतजार और उम्मीदों पर खरा उतरते हैं.
‘अभय 2’ के तीसरे एपिसोड गेम बिगिन्स से इस सीरीज की असल अपराध और हिंसा की कहानी शुरू होती है. राम कपूर का किरदार बच्चों की एक स्कूल बस को अगवा कर लेता है उसके बदले वह अभय से कुछ केसेज सॉल्व करने को कहता है और उसके बदले बच्चे वापस करता है. किडनैपर को इन केसेज के अपराधियों में क्यों दिलचस्पी है.
आखिरी तीन एपिसोड में अभय को छह बच्चे छुड़वाने बाकी हैं. क्या अभय किडनैपर के हाथों का खिलौना बन जाएगा या अभय इस किडनैपर को उसके अंजाम तक पहुंचाएगा. किडनैपर अपने काम को बखूबी अंजाम कैसे दे रहा है. क्या कोई और भी इसमें शामिल है ये सभी सवाल आखिरी तीन एपिसोड देते हैं.
स्क्रीनप्ले बहुत ही एंगेजिंग हैं. हीरो और विलेन एक दूसरे को बराबर टक्कर देते नजर आते हैं. केस सुलझाओ बच्चों को बचाओ. कहीं बकवास नहीं है. हर सीन के साथ कहानी को रोचक बनाने की सफल कवायद है. सबकुछ पॉइंट टू पॉइंट है।यही इस सीरीज की सबसे खास बात लगती है. आखिरी एपिसोड जिस नोट पर खत्म हुआ है वो आप सवालों के फेर में छोड़ देता है और ये भी तय हो जाता है कि अभय 3 की भी तैयारी शुरू हो चुकी है.
इन तीन एपिसोड्स की एक्टिंग की बात करें तो
छठे एपिसोड में राघव सीरियल किलर के तौर पर नज़र आए हैं. जिस तरह से उन्होंने अपने किरदार को बारीकी से निभाया है उसके लिए उनकी तारीफ करनी होगी. राघव से इतनी अच्छी एक्टिंग भी कर सकते हैं उम्मीद नहीं थी लेकिन उन्होंने करके दिखाया है. अभय 2 के तीसरे एपिसोड्स से जो एक्टिंग का ग्राफ राम कपूर ने बढ़ाया था वो इन आखिर के तीन एपिसोड्स में भी उन्होंने शानदार तरीके से बरकरार रखा है. उनके किरदार की कातिलाना कहानी में शुरुआत से अंत तक बेचैनी पैदा करती है. आशा नेगी अपनी चित परिचित इमेज से अलग कुछ करती नज़र आईं हैं. निधि सिंह का अभिनय भी अच्छा है. कुणाल खेमू ने एक बार फिर पूरी गहरायी के साथ अपने किरदार के पर्सनल और प्रोफेशनल द्वंद को जीया है.
सीरीज की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है।वे इस सीरीज के विषय के साथ न्याय करती है. संवाद भी अच्छे बन पड़े हैं.
posted by: Budhmani Minj
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