Actor r madhavan: आप जैसा कोई की शूटिंग में जमशेदपुर जाने पर जमकर अपनी बचपन वाली मिठाइयां खायी

अभिनेता माधवन ने इस इंटरव्यू में अपनी हालिया रिलीज फिल्म आप जैसा कोई और जमशेदपुर से जुड़ाव पर बात की है.

By Urmila Kori | July 17, 2025 8:58 PM
an image

Actor R Madhavan :प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर इन दिनों लव स्टोरी फिल्म ‘आप जैसा कोई’ स्ट्रीम हो रही है. इस फिल्म का झारखंड से खास जुड़ाव है. कहानी का एक अहम हिस्सा जमशेदपुर में आधारित है और फिल्म की शूटिंग भी यहीं की गयी है. खास बात यह भी है कि जमशेदपुर में पले-बढ़े अभिनेता आर माधवन इस फिल्म का प्रमुख चेहरा हैं. आर माधवन के साथ उर्मिला कोरी की हुई बातचीत

इस फिल्म की शूटिंग ने एक बार फिर से आपको जमशेदपुर से जुड़ने का मौका दिया.इस अनुभव को कैसे परिभाषित करेंगे ?

मैं इसे एक शानदार अनुभव कहूंगा. मैं उस घर को देखने गया, जहां मेरा जन्म हुआ था. बहुत ही नॉस्टैल्जिया वाली फीलिंग थी. कुछ लोगों को छोड़कर जिन्हें मैं जानता था, अब वहां कोई नहीं रहता है, तो ज्यादा मिलना जुलना नहीं हुआ. वैसे भी चार से पांच दिनों की ही शूटिंग थी. इस दौरान मैंने बहुत सारी आइसक्रीम और मिठाइयां खाई. जमकर हर पल को एन्जॉय किया. बचपन में मैं एक चूरन बहुत खाता था, तो मैं इस बार भी खूब सारा वह चूरन खरीदा था. जमशेदपुर से कोलकाता भी लेकर गया और वहां अपने को एक्टर्स को भी उसके स्वाद से रूबरू करवाया.

अरसे बाद परदे पर क्लीन शेव लुक में आना कितना आसान या मुश्किल था ?

हम परदे पर उम्र के अंतर वाली स्टोरी दिखाते हैं, लेकिन परदे पर हमें पार्टनर के साथ ठीक ठाक नजर आने का भी दबाव होता है. यह इस फिल्म में मेरे साथ भी हुआ. मुझे लगा कि दाढ़ी की मदद से मैं अपनी उम्र को छुपा लूंगा, जिससे परदे पर फातिमा और मेरी जोड़ी अच्छी रहेगी, लेकिन निर्देशक विवेक सोनी ने यह साफ कर दिया कि फिल्म में मेरा लुक क्लीन शेव वाला ही होगा. मैंने बहुत मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानें, तो आखिरकार मुझे क्लीन शेव लुक में आना पड़ा. वैसे ठीक भी लग रहा हूं. यह बात राहत देती है.

रहना है तेरे दिल में से आप जैसा कोई तक प्यार की ऑन स्क्रीन परिभाषा कितनी बदली है ?

(हंसते हुए ) उस ज़माने में जो रोमांस सही था, वो अब नहीं रहा.अब इसे स्टॉकिंग या क्रीपी कहा जाएगा, लेकिन लोगों को समझना चाहिए कि उस वक़्त हमारे पास डेटिंग ऐप्स नहीं थे. उस ज़माने में वेस्टर्न कल्चर नहीं था तो लड़की को बिना प्यार का इज़हार किये बाहर ले जाना ये सब गलत था. अब नियम बदल गए हैं।

इस फिल्म में आपके अपोजिट फातिमा सना शेख हैं, उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?

वह इतनी खूबसूरत हैं कि प्यार हो जाना आसान था. वैसे वह बहुत मेहनती भी हैं.फिल्म में हमारा एक युगल गीत है, जिसमें हमारा परिवार हमसे मिलने आता है. गाने की शूटिंग के बाद सभी लोग ताली बजाने लगे. सबको लगा कि हम ही यह धुन बजा रहे हैं. उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि यह बैकग्राउंड म्यूजिक है. इसकी एक वजह हमारी तैयारी भी थी. खासकर मैं अपनी को एक्टर फातिमा की तारीफ करना चाहूंगा. वह सेट पर बहुत तैयारी के साथ आती थीं. इस गाने में वह पियानो बजाती हैं और मैं सितार बजाता हूं. उन्होंने छह महीने तक क्लास ली और जब वह सेट पर सितार बजाती थीं, तो मुझे जलन होती थी कि वह इतनी अच्छी थी. वैसे मैंने भी तीन महीने तक सितार सीखा था.

आपने अपने किरदारों के साथ काफी प्रयोग किए शैतान और केसरी 2 के बाद ये रोमांटिक फिल्म है?


इसका श्रेय निर्देशकों को जाता है. विवेक ने शैतान देखी और मुझे आप जैसा कोई के लिए कास्ट किया, तो कुछ श्रेय तो उन्हें भी जाना चाहिए. गलत कास्टिंग की वजह से उनका करियर दांव पर लग सकता था. शैतान की कास्टिंग भी बहुत ही बेतुकी थी. तनु वेड्स मनु देखने के बाद कोई मुझे कास्ट नहीं करता, लेकिन यह उन लोगों का विजन था. निर्माता कुमार मंगत और निर्देशक विकास बहल के पास विजन था. यह सिर्फ अजय देवगन की वजह से ही संभव हुआ, उन्होंने मुझे फिल्म करने की इजाजत दी. यह उनकी फिल्म थी, उनका प्रोडक्शन था, उन्होंने फिल्म में पैसे लगाए थे और शीर्षक मुझे पर रखा था. इसलिए पूरा श्रेय इन निर्देशकों को ही जाता है जो मैं बन सका.

फिल्म में आप लोनली इंसान हैं क्या निजी जिंदगी में इस फीलिंग से कभी गुजरते हैं ?

हां गुजरता हूं , मैं पिछले तीन महीनों से शूटिंग कर रहा हूं. कभी-कभी मुझे एहसास होता है कि मैं ज़िंदगी में क्या कर रहा हूं. क्या इस उम्र में ये सब करना वाजिब है? मेरा बेटा तैराकी का शौक़ रखता है और मेरी पत्नी हर समय उसके साथ रहती है, लेकिन मैं कहीं और होता हूं. मेरे कुत्ते और तोते अलग जगहों पर होते हैं. मैं इस भ्रम में जीता रहता हूं कि जल्दी शूटिंग खत्म कर उनके साथ समय बिताऊंगा, लेकिन फिर कुछ दिनों में दूसरी शूटिंग शुरू हो जाती है। मैं ये भी कहूंगा कि जब मैं शूटिंग कर रहा होता हूं,तो मैं खुश रहता हूँ क्योंकि ये मुझे व्यस्त रखता है. पैकअप के बाद मैं अगली सुबह तक होटल के अपने कमरे में बिल्कुल अकेला रहता हूं .वो अकेलापन मेरी रूह तक सिहरन पैदा कर देता है. मुझे लगता है कि मैं समय बर्बाद कर रहा हूँ और पैसों के पीछे भाग रहा हूं.फिर अजय और अक्षय कुमार को देखता हूं तो उनके मुकाबले मैं खुद को आलसी लगता हूं

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version