Jharkhand Budget 2025: झारखंड विधानसभा में गूंजे पीयूष मिश्रा के गाने- ‘आरंभ है प्रचंड’ और ‘तू फूल सूंघता रहा’
Jharkhand Budget 2025: झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने विधानसभा में वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते समय कई कविताएं पढ़ीं. इसमें पीयूष मिश्रा की 2 कविताएं भी शामिल हैं. आप भी पढ़ें.
By Divya Keshri | March 3, 2025 1:45 PM
Jharkhand Budget 2025: मशहूर एक्टर, कवि और संगीतकार पीयूष मिश्रा ने श्याम बेनेगल की ऐतिहासिक ड्रामा सीरीज -भारत एक खोज से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था. उन्होंने ब्लैक फ्राइडे, गुलाल, गैंग्स ऑफ वासेपुर, रॉकस्टार, मातृभूमि : ए नेशन विदाउट वुमेन जैसी फिल्मों में काम किया हैं. इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक गाने दिए हैं, जिसमें ‘आरंभ है प्रचंड’ तो हर किसी को याद होगा. इस गाने को सुनकर किसी के मन में जोश आ जाता है. सॉन्ग को उन्होंने खुद लिखा था और इसका म्यूजिक भी खुद दिया था. आज उनके इस गीत का जिक्र झारखंड विधानसभा में बजट पेश करते समय वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने किया.
वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने पीयूष मिश्रा की कविता ‘तू फूल सूंघता रहा’ का किया जिक्र
झारखंड विधानसभा बजट में वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने पीयूष मिश्रा की कविता तू फूल सूंघता रहा भी पढ़ा. कविता पढ़ने से पहले उन्होंने कहा कि, हेमंत सोरेन जी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार बिना रुके, बिना डिगे झारखंड की जनता की सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए पीयूष मिश्रा जी की निम्न पंक्तियों से प्रेरित होकर आगे बढ़ रही है- हम जिस गति से हैं चले, उस गति को पाएंगे आप फूल सूंघते रहे, तो किस गति को जाएँगे सर के जिस पर तेज हो, और हाथ में हो धनुष बाण वीर उसको बोलते, जो बूढ़ा हो या जवान रण में जाकर हो खड़ा तू, चक्र व्यूह को तोड़ दे मौत को मात दे और दुश्मनों को मरोड़ दे.
झारखंड विधानसभा बजट में वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने पीयूष मिश्रा के गाने ‘आरंभ है प्रचंड’ को भी पढ़ा. ये गीत फिल्म गुलाल का जो साल 2009 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इसे पढ़ने से पहले उन्होंने कहा, मैं अपना बजट अभिभाषण इस सदन को उनकी कविता में आंशिक परिवर्तन के साथ समर्पित कर रहा हूं. कविता के बोल है- आरम्भ है प्रचण्ड बोल मस्तकों के झुण्ड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो, आन बान शान या की जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले वही तो एक सर्वशक्तिमान है, विश्व की पुकार है ये भगवत का सार है की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है कौरवों की भीड़ हो या पाण्डवों का नीर हो जो लड़ सका है वही तो महान है जीत की हवस नहीं किसी पे कोई बस नहीं क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पर मार दो, मौत अन्त हैं नहीं तो मौत से भी क्यों डरे ये जाके आसमान में दहाड़ दो.