दुमका (आनंद जायसवाल) : संताली गीतों के उभरते गायक राजू सोरेन ने यूट्यूब पर धूम मचा दी है. 24 घंटे के भीतर उनके ‘जुरी तिन’ गीत को 5 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा है. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. साहिबगंज जिला के तीनपहाड़ प्रखंड के सालमंदरा के रहने वाले राजू का यह गीत संताली दर्शकों को खूब भा रहा है.
संताली एल्बम इंडस्ट्री में किसी गीत को इतने कम समय में इतना व्यू नहीं मिला. संताली एल्बम इंडस्ट्री के उभरते स्टार जॉनी हेंब्रम एंड खूबसूरत मल्लिका नेहा अवेंजेला मरांडी अभिनीत इस गाने ने यूट्यूब चैनल पर रिलीज होते ही धमाल मचा दिया है. इस गाने को खूब लाइक्स भी मिल रहे हैं.
महज 4:30 मिनट के इस छोटे से वीडियो में एक युवा की अपनी प्रेमिका की वजह से अपने माता-पिता से हुई अनबन और उसके बाद जीवन यापन के संघर्ष के बावजूद सफलता के कदम चूमने तक के कहानी को बखूबी बयां किया गया है. युवाओं को प्रेरित करने वाले इस गाने को सफलतम माने जाने वाले डायरेक्टर सुधीर हेम्ब्रम ने डायरेक्ट किया है.
इस गाने को सामुएल मरांडी ने लिखा है और संगीत से सजाया है सीएस ब्रदर्स ने. सिनेमाटोग्राफी लकी संतोष ने किया है. एडीटिंग अजित टुडू ने की है. राजू सोरेन ने बताया कि यह उनकी सफलता नहीं, बल्कि उनकी पूरी टीम तथा उनके लाखों चाहने वालों की सफलता है.
राजू को उनकी गायिकी के लिए आज चारों ओर से सराहना मिल रही है, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. महज आठ साल की उम्र में सिर से पिता का साया उठ गया. मां बमुश्किल चार भाई-बहनों का पालन पोषण कर पाती थी. राजू चार भाई बहनों में सबसे बड़ा था, इसलिए मां ने रिश्तेदार के पास कुछ क्विंटल धान के लिए उसे गाय चराने के लिए मजदूरी करने भेज दिया.
राजू के हमउम्र बच्चे स्कूल जाते थे और राजू उस घर में नौकर की तरह रहता था. जब सारे बच्चे स्कूल जाते थे, तो वह उनको निहारता था और अपनी गरीबी को कोसता था. घर की स्थिति इतनी दयनीय थी कि राजू का परिवार दो वक्त की रोटी के लिए तरसता था. इन्हीं कठिन परिस्थियों को देखकर राजू के मन में कुछ करने की ललक पैदा हुई.
उसने मां के सामने जिद कर दी कि वह स्कूल जायेगा. प्राइमरी की शिक्षा इन्होंने गांव के स्कूल में ही पूरी की. सेकेंडरी की शिक्षा राजू ने हॉस्टल में रह रहे हमउम्र बच्चों के लिए खाने बनाते हुए यानी कुक बनकर पूरी की. कुछ कर गुजरने की लालसा ने उन्हें इंटरमीडिएट की परीक्षा भी दी.
आर्थिक स्थिति ने आगे पढ़ने की इजाजत नहीं दी. तब जाकर राजू ने अपने अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना. बचपन में जब उनके गांव में कोई पर्व-त्योहार का आयोजन होता था, तब वह होने वाले नाच-गानों को बड़ी बारीकी से सुनता था. पढ़ायी भी जारी रखी. ग्रेजुएशन के बाद मास्टर डिग्री भी हासिल कर ली.
राजू को दोस्त रवि मरांडी का साथ मिला. गीत-संगीत के प्रति प्रेम, शौक और जज्बा ने सफलता का मार्ग प्रशस्त किया. ञेल में दुलाड़ आम सेतेक् इञ सिरिञ जोंञ कान…, सात टाकाञ इमाम दुलाड़ …, हांडी ते चोंञ बुल आकान दुलाड़ो…जैसे कई सुपरहिट गानों को इन्होंने आवाज दी.
राजू सोरेन की सफलता का आलम यह है कि यू-ट्यूब पर इनके गानों का अपलोड होने का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. देखते ही देखते मिलियन व्यूज मिल जाते हैं. उसके चैनल के डेढ़ लाख सब्सक्राइबर हैं और जब उसके 1 लाख सब्सक्राइबर हुए थे, तब उन्हें यूट्यब ने सिल्वर प्ले बटन प्रदान किया था.
Posted By : Mithilesh Jha
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