शूटिंग के लिए ओरछा में बनाया गया था मिनी बिहार
रविकांत सिन्हा का कहना है कि उन्होंने हमेशा दो पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया. शिक्षा और सिखाने का तरीका. वे वेब सीरीज दुपहिया के बारे में कहते हैं कि इसमें कई तरह के किरदार हैं. उसके हिसाब से काम करना पड़ा. साथ ही, देशभर में हर वर्ग के लोग इसे देख आनंद ले सके, इस हिसाब से तैयार किया गया है. इसका श्रेय सोनम नायर को जाता है. इस सीरीज की पूरी शूटिंग ग्वालियर के राजा राम मंदिर के पास ओरछा में हुई है. 60 दिनों तक गांव में मिनी बिहार बनाया गया था. बिहार अब एक नया समय देख रहा है. यहां की भाषा और मिठास को पूरी दुनिया महसूस कर रही है.
पटना में रंगमंच से शुरू हुआ अभिनय का सफर
रविकांत सिन्हा ने अभिनय का सफर पटना में रहते हुए रंगमंच से किया. वह कहते हैं कि उनके गुरु धनंजय नारायण सिन्हा थे, जिनकी सलाह पर उन्होंने पटना सिटी इफ्ता थिएटर ग्रुप से अभिनय की यात्रा शुरू की. इसके बाद वे संजय उपाध्याय के निर्देशन में निर्माण नाट्य संस्था से जुड़े. धीरे-धीरे पटना के सभी थिएटर ग्रुप के लिए नाटक किया. इसके बाद साल 2008 में भारतेंदु नाट्य अकादमी में दाखिला लिया. दो साल तक थिएटर और ड्रामा में पढ़ाई करने के दौरान उन्हें डायरेक्शन की ओर रुझान आया. इसके बाद वह फिल्म अप्रिशिएसन में एक साल के डिप्लोमा कोर्स के लिए एफटीआईआई पुणे चले गए.
नौकरी का कॉल लेटर छुपा निकले मुंबई
रविकांत बताते हैं कि जब उन्होंने पटना छोड़ने का निर्णय लिया था, तो उनके परिवार का पूरा समर्थन नहीं था. क्योंकि, वह एयरफोर्स और रेलवे में नौकरी पा चुके थे. लेकिन, उन्होंने अपने पसंद के काम को करने के लिए सबकुछ छोड़कर मुंबई जाने का फैसला किया. मुंबई में पहले डेढ़ साल संघर्ष के बाद उन्होंने अपने काम को साबित किया. रविकांत कहते हैं कि मुंबई में संघर्ष है, लेकिन अगर आप काम में ईमानदार हैं, तो आपको सफलता जरूर मिलेगी. वे नई पीढ़ी से कहते हैं कि कड़ी मेहनत करो, ईमानदारी से काम करो और कभी निराश मत हो.
हर काम के बाद लगता है अब तो सफलता मिल गई
रविकांत कहते हैं कि साल 2019 में पंकज त्रिपाठी के साथ फिल्म किस्सेबाज की. उस समय लगा था कि अब तो लाइफ बदल गया. उसके पहले सुभाष घई के साथ फिल्म कांची की थी. इसमें मिथुन चक्रवर्ती और कार्तिक आर्यन मुख्य किरदार में थे. हर काम के बाद लगता है अब तो सफलता मिल गई. लेकिन, ऐसा होता नहीं है. एक काम से ही सब कुछ हो जाएगा यह कहना बहुत अजीब सा हो जाता है. लेकिन, जो भी काम किया है बहुत ईमानदारी के साथ किया है. अब कंटेंट भी अच्छा आने लगा है, धीरे-धीरे कहानी पर काम हो रहा है.
कलाकारों को आत्मविश्वास बढ़ाने की है जरूरत
रविकांत का मानना है कि नए कलाकारों को अपने काम पर भरोसा रखना चाहिए. वे कहते हैं कि मुंबई में देशभर से लोग अपना किस्मत आजमाने आते हैं. लेकिन, गांवों और छोटे शहरों से आए कलाकारों में आत्मविश्वास की कमी होती है, जो समय के साथ बढ़ाया जा सकता है. वे यह भी कहते हैं कि आजकल के युवा किताबों से दूर हो गए हैं, लेकिन उन्हें समझना होगा कि सिर्फ अच्छी डायलॉग डिलीवरी से अभिनय नहीं होता, यह कला है जो मेहनत और समर्पण से आती है.
कास्टिंग में रविकांत का अनोखा नजरिया
फिल्म कास्टिंग के बारे में रविकांत सिन्हा का कहना है कि वे ऐसे कलाकारों को प्राथमिकता देते हैं जिन्होंने अपने कैरेक्टर पर गहन शोध किया हो. वह कहते हैं, मैं पहले एक्टर से पूछता हूं कि उसने क्या सोचा है, फिर मैं अपनी सोच के हिसाब से टेक तैयार करता हूं. इस प्रक्रिया में हम तीन वेरिएशंस पर काम करते हैं, जिससे अभिनेता की गहराई और रचनात्मकता सामने आती है. वहीं, निर्देशन के प्रति रुझान को लेकर कहा कि मैं केवल काम ना करूं. मेरे साथ अन्य लोग भी रहें. एक एक्टर के साथ तीन से चार लोगों को रोजगार मिलता है. लेकिन, डायरेक्टर के साथ 50-100 से लेकर 500 व हजार लोगों को भी अवसर मिलता है.