कोलकाता शहर के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल में एक एसएसकेएम अस्पताल के चिकित्सकों ने लगभग असंभव को संभव कर दिखाया है. 27 साल के एक युवक को ब्रेन डेड घोषित किये जाने के बाद एक शख्स के दोनों हाथों का प्रत्यारोपण किया गया है. चिकित्सकों की भाषा में इसे कैडेवरिक डोन ट्रांसप्लांट कहा जाता है. देश में ऐसा पहली बार हुआ है. अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, यह सर्जरी शनिवार सुबह पांच बजे शुरू हुई थी, जो रविवार तड़के तीन बजे तक चली.
युवक को 27 घंटे तक रखा गया वेंटिलेटर पर
करीब 22 घंटे तक लगातार ऑपरेशन चला. 32 डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ की टीम ने यह उपलब्धि हासिल की है. युवक को लगातार 27 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा गया था. रविवार सुबह नौ बजे युवक को वेंटिलेशन से हटा दिया गया. उसे अब सीसीयू में रखा गया है. मरीज की स्थिति स्थिर बतायी जा रही है. अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों की देखरेख में उसकी चिकित्सा चल रही है.
हार्ट, किडनी, लिवर, फेफड़ा, कॉर्निया व त्वचा के प्रत्यारोपण की खबर तो अक्सर सुनने को मिलती है. लेकिन हाथ के प्रत्यारोपण का यह पहला मामला है. अस्पताल के चिकित्सकों की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यभर के सरकारी चिकित्सकों को बधाई दी है.
अंगदान करने वाले मृतक का परिचय
नौ जुलाई को हावड़ा के उलबेड़िया निवासी हरिपद राणा (43) सड़क दुर्घटना के शिकार हो गये थे. हरिपद के सिर में चोट लगी थी. बताया जा रहा है कि वह बाइक पर सवार थे. हादसे के बाद उन्हें पहले उलबेड़िया महकमा अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्हें एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर सेंटर में भर्ती कराया गया. लेकिन,13 जुलाई को डॉक्टरों ने हरिपद को ब्रेन डेड घोषित कर दिया.
डॉक्टरों ने परिवार को अंगदान के लिए प्रेरित किया
इस दौरान डॉक्टरों ने परिवार को अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया. इसके बाद परिवार मृतक के अंगदान करने के लिए तैयार हो गया. इसके बाद अस्पताल से उनके ब्लड ग्रुप और सेल संबंधी जानकारी ली गयी. वहीं उत्तर 24 परगना जिले के बिराटी निवासी युवक का पिछले एक साल से एसएसकेएम के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में इलाज चल रहा था. उसे दोनों हाथ की जरूरत थी.
मृतक की पत्नी ने लिया अंगदान का फैसला
परिणामस्वरूप, अस्पताल ने मृत व्यक्ति के परिवार को दोनों हाथ दान करने को कहा. पहले तो यह प्रस्ताव सुनकर परिवार वाले हैरान रह गये, लेकिन मृतक की पत्नी ने आखिरकार अंगदान करने का फैसला किया. प्रदेश में अंगदान में एक बार फिर इतिहास रचा गया है. परिवार के एक सदस्य ने कहा : घर के व्यक्ति की जान चली गयी थी. डॉक्टर की सलाह पर पहले हम लोग असहज थे, लेकिन जब परिवार ने डॉक्टर के प्रस्ताव को मान लिया, तो फिर घर के अन्य सदस्य भी सहमत हो गये.
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बंगाल में पहली बार हुई ऐसी सर्जरी
सर्जरी में शामिल एसएसकेएम अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि इलेक्ट्रिशियन के तौर पर काम करते समय झटका लगने से युवक के दोनों हाथ जल गये थे. वे काम नहीं कर रहे थे. वहीं हाथों के प्रत्यारोपण के लिए टीकाकरण समेत उनके कई परीक्षण हुए. विशेष मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया और उसकी अनुमति ली गयी.
प्रत्यारोपण हो चुका है, लेकिन चुनौती भी है : डॉक्टर
नेफ्रोलॉजी विभाग के एक चिकित्सक ने कहा: प्रत्यारोपण हो चुका है. लेकिन चुनौती यह है कि शरीर कब तक इस हाथ को स्वीकार करेगा. हाथ जोड़ने के लिए कई तरह के चिकित्सकीय उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है. कई बार शरीर ऐसे बाहरी पदार्थों को स्वीकार नहीं करता है. इसलिए हाई एंटीबॉयोटिक का प्रयोग किया जा रहा है. अगर रक्त संचार शुरू नहीं हुआ तो सड़न शुरू हो जायेगी. साथ ही शरीर के अन्य पहलू भी हैं. युवक को कड़ी निगरानी में रखा गया.
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परिवार ने इन अंगों को भी किया दान
हाथों के साथ ही मृतक के हार्ट, लिवर, दोनों किडनी, त्वचा और कॉर्निया दान किया गया है. शनिवार को ही हावड़ा के नारायण सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया. अस्पताल के मरीज कल्लोल कुमार चौधरी के सीने में हृदय को लगाया गया है. वहीं लिवर, दोनों किडनी, त्वचा का प्रत्यारोपण एसएसकेएम में ही किया गया है. कॉर्निया को एसएसकेएम के आई बैंक में रखा गया है. गौरतलब है कि एसएसकेएम अस्पताल राज्य का एकमात्र सरकारी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.
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