परेशानी को जितनी देर पकड़ कर रखेंगे उतना ही वह आपको परेशन करेगी
फिर वह तर्क देते हैं कि कांच का वास्तविक वजन महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने गिलास को कितनी देर तक पकड़ा है. वह आगे बताते हैं, “अगर मैं एक मिनट के लिए रुकता हूं, तो कुछ नहीं होता है. अगर मैं एक घंटे तक रुका रहा तो मेरे हाथ में दर्द होने लगेगा. अगर मैं इसे दिन भर पकड़े रहूं, तो मेरा हाथ सुन्न और लकवाग्रस्त महसूस होगा. ठीक है, गिलास का वजन नहीं बदला है, लेकिन जितनी देर मैं इसे पकड़े रहूंगा, यह उतना ही भारी होता जाएगा.
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तनाव और जीवन की चिंताओं को ज्यादा देर साथ लेकर चलना ठीक नहीं
फिर वह “तनाव और जीवन की चिंताओं” को पानी के गिलास के साथ जोड़ते हैं और निष्कर्ष निकालता है कि यदि कोई अपनी समस्याओं के बारे में सोचता है या थोड़ा तनाव लेता है तो यह कोई समस्या नहीं होगी लेकिन अगर कोई अधिक सोचता है तो यह अंततः उस व्यक्ति को चोट पहुंचाता है चाहे समस्या कितनी भी भारी क्यों न हो. इसलिए, ‘ग्लास को नीचे रखना’ या किसी की दखल देने वाली चिंताओं को दूर करना महत्वपूर्ण है. यानी चिंता को पकड़े न रहें उसे तुरंत अपने से दूर कर दें.
महिंद्रा ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, वह इस प्रेरणादायक वीडियो को देखकर कभी नहीं थकते, खासकर सोमवार के दिन. उनके ट्वीट किए गए वीडियो को 43,000 से अधिक बार देखा जा चुका है.
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