बिगड़ती जीवन शैली और अनहेल्दी डाइट कई बीमारियों को न्योता देती है. काम का दबाव इतना होता है कि लोग ना सही से खाते हैं ना सो पाते हैं. उनका अधिकतर वक्त स्क्रीन पर ही गुजरता है , जैसे- मोबाइल, लैपटॉप या टेलीविजन. शुरू में इस जीवनशैली पर ध्यान नहीं जाता लेकिन जब हालात खराब होने लगते हैं तब पता चलता है कि बीमारी शरीर में घर कर गई है. इन्हीं में एक है माइग्रेन की बीमारी, जिसे अधकपारी के नाम से भी जानते हैं. माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो आम तौर पर दर्दनाक सिरदर्द हमलों का कारण बनती है जो अतिरिक्त लक्षणों के साथ होती है, जैसे प्रकाश, ध्वनि, गंध या स्पर्श के प्रति संवेदनशीलता.
क्या है माइग्रेन ?
माइग्रेन एक तरह का सिरदर्द होता है, जो आमतौर पर सिर के आधे हिस्से में होता है. यह मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र के विकारों के कारण हो सकता है. अक्सर इस बीमारी में सिर में हल्का और तेज कष्टदायी दर्द होता है. लेकिन यह आम सिरदर्द से काफी अलग होता है. यह दर्द किसी भी समय हो सकता है, जिसे सहन कर पाना बहुत कठिन हो जाता है.यह एक आम स्वास्थ्य विकार है, जो लगभग 5 महिलाओं में से 1 और 15 पुरुषों में से 1 को प्रभावित करता है. माइग्रेन में सिरदर्द की अवधि कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक हो सकती है.
माइग्रेन के लक्षण
सिर में दर्द से सभी लोग कभी ना कभी परेशान होते ही हैं लेकिन साधारण सिर दर्द और माइग्रेन के सिरदर्द को पहचानना जरूरी है. माइग्रेन के सिरदर्द के लक्षण की बात करें तो माइग्रेन के सिरदर्द की पहचान ‘ऑरा’ से होती है, ऑरा यानी दृष्टी संबंधी समस्या .. इसमें रोगी को चमकने वाली रोशनी, टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं दिखाई देती है. माइग्रेन के लक्षण सिरदर्द से 1 से 2 दिन पहले ही शुरू हो सकते हैं. इसे प्रोड्रोम चरण के रूप में जाना जाता है. भोजन की इच्छा में कमी , अवसाद, थकान या कम ऊर्जा ,बार-बार उबासी आना, सक्रियता की कमी , चिड़चिड़ापन गर्दन में अकड़न ‘ऑरा’ के लक्षण हैं
माइग्रेन के लक्षण हैं :
प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बढ़ना
आंखों के आगे काला धब्बा दिखना
जी मिचलाना
त्वचा में चुभन महसूस होना
कमजोरी लगना
आंखों के नीचे काले घेरे
ज्यादा गुस्सा आना
चिड़चिड़ापन होना
सिर के एक ही हिस्से में दर्द होना
बेहोशी महसूस होना
हमले के चरण के बाद, व्यक्ति अक्सर पोस्टड्रोम चरण का अनुभव करेगा. इस चरण के दौरान, आमतौर पर मूड और भावनाओं में बदलाव होते हैं.
क्या हैं माइग्रेन के कारण :
माइग्रेन अटैक का क्या कारण है इसके किसी निश्चित कारण की पहचान नहीं हुई है लेकिन माना जाता है कि यह स्थिति “असामान्य” मस्तिष्क गतिविधि के कारण है जो तंत्रिका सिग्नलिंग, और मस्तिष्क में रसायनों और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है. माइग्रेन के कारण सिर में असहनीय और तेज दर्द होता है.कुछ ऐसे कारण है जो माइग्रेन को ट्रीगर कर सकते हैं, जिससे मस्तिष्क के रसायनों में बदलाव शामिल है. इसके रसायनों में असंतुलन खासकर सेरोटोनिन के कारण शुरू होता है. माइग्रेन को ट्रीगर करने वाले प्रमुख कारण हैं
शरीर हाइड्रेट नहीं रहना
ज्यादा चिंता करना
जरूरत से ज्यादा तनाव लेना
महिलाओं में हार्मोनल बदलाव
तेज प्रकाश
तेज ध्वनि
नींद में बदलाव करना
सिगरेट और शराब पीना
ज्यादा गर्मी
तेज गंध
कुछ दवाएं, जैसे गर्भनिरोधक गोलियां
बैरोमीटर का दबाव में परिवर्तन
माइग्रेन कई प्रकार के होते हैं, जैसे
क्रोनिक माइग्रेन – क्रोनिक माइग्रेन में हर महीने 15 दिन से ज्यादा समय तक दर्द शामिल होता है.
पीरियड्स माइग्रेन – यह माइग्रेन पीरियड्स के दौरान महसूस होते हैं.
एब्डोमिनल माइग्रेन – एब्डोमिनल माइग्रेन 14 साल के कम उम्र के बच्चों को होता है, जो आंत और पेट के अनियमित कार्य की वजह से हो सकता है.
वेल्टिबुलर माइग्रेन – माइग्रेन के इस प्रकार में गंभीर चक्कर आना एक लक्षण हैं.
हेमिप्लेजिक माइग्रेन – इस तरह के माइग्रेन में शरीर के एक तरफ अस्थाई रूप से कमजोरी हो जाती है.
कैसे ठीक होता है माइग्रेन
क्या आप जानते हैं, माइग्रेन का इलाज कैसे होता है? आपको जानकर हैरानी होगी कि, माइग्रेन का इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है, लेकिन डॉक्टर की सलाह और कुछ दवाओं के माध्यम से आप माइग्रेन के दर्द को कम कर सकते हैं. इसके लक्षणों का इलाज कर आप इसे आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं. आपकी उपचार योजना इस पर निर्भर करती है कि
मरीज की उम्र
माइग्रेन का दर्द कब और कितने दिनों में होता है
माइग्रेन दर्द का प्रकार
दर्द कितने समय तक और कितना गंभीर होता है
सिर दर्द के अलावा कोई लक्षण
माइग्रेन में सिर के अलावा कहीं और भी दर्द हो
माइग्रेन के नुकसान क्या है?
माइग्रेन जैसी समस्याओं का असर शरीर के कई अंगों पर पड़ता है. माइग्रेन शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है, जिसके कारण हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
यह मानसिक तनाव का कारण भी बनता है, जिसके कारण व्यक्ति को डिप्रेशन हो सकता है.
यदि ओकुलर माइग्रेन हो तो यह आपकी आखों को नुकसान पहुंचा सकता है, और आंखों में खून का बहाव कम हो सकता है.
यह आपके हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को बढ़ाता है.
माइग्रेन में एंग्जायटी के कारण अनिद्रा की भी समस्या हो सकती है.
माइग्रेन में कैसा होना चाहिए आहार
कुछ फूड आइटम्स होते हैं जो आपके माइग्रेन को ट्रिगर करते हैं, लेकिन कुछ फूड आइटम्स ऐसे भी होते हैं, जो आपके माइग्रेन को कम करते हैं. इनसे ये पूरी तरह से ठीक तो नहीं होता है लेकिन माइग्रेन से निपटने में प्रभावी होता है..
नट्स – नट्स कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, यह आपके शरीर के साथ-साथ माइग्रेन के इलाज में भी बहुत प्रभावी होते है. नट्स में काजू, बदाम, अखरोट और कद्दू के बीज अच्छे विकल्प हैं .
पालक – आपके अच्छे स्वास्थ्य और माइग्रेन के लिए हरी-पत्तेदार सब्जियां बहुत फायदेमंद होती है. पालक फोलिक एसिड, विटामिन बी और मैग्नीशियम का एक अच्छा श्रोत होता है, जो माइग्रेन को दूर करने में मदद करता है.
पानी – माइग्रेन के लिए सबसे बेहतर इलाज, अपने आप को हाइड्रेट रखना है. आप ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें. सिरदर्द का सामना करने के लिए खुद को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है. रोजाना कम से कम 10 गिलास पानी जरूर पिएं.
अदरक – अदरक अपने औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है. इसमें कई ऐसे कम्पाउंड होते हैं, जो नॉन-स्टेरॉएडल एंटीइंफ्लेमेटरी होते हैं. यह माइग्रेन के दर्द से राहत पहुंचाने में बहुत लाभदायक होते हैं.
फैटी फिश – माइग्रेन में फैटी फिश का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं , जो माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए सही है. यह माइग्रेन को कम करते हैं .
कुछ पोषक तत्वों की कमी होने पर भी माइग्रेन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है जैसे
विटामिन डी – विटामिन डी हमारे पूरे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती है और आपको माइग्रेन की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए आप कुछ देर धूप में बैठ सकते हैं या विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकते हैं.
मैग्नीशियम – मैग्निशियम की कमी माइग्रेन का एक प्रमुख कारण होता है. इसकी कमी से तनाव और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती है और माइग्रेन का सामना करना पड़ सकता है.
विटामिन बी कॉम्प्लेक्स – विटामिन बी कॉम्प्लेक्स हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी विटामिन होता है . विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी से भी आपको माइग्रेन की समस्या हो सकती है.
जिन लोगों को क्रोनिक माइग्रेन है, उन्हें 3 या अधिक महीनों तक महीने में 15 दिन से अधिक गंभीर तनाव सिरदर्द या माइग्रेन का दौरा पड़ता है. इनमें से आठ से अधिक हमले ऑरा के साथ या बिना ऑरा के माइग्रेन के हैं.
कुछ अतिरिक्त जोखिम कारक जो किसी व्यक्ति को क्रोनिक माइग्रेन के प्रति संवेदनशील बना सकते हैं उनमें शामिल हैं: चिंता अवसाद , एक अन्य प्रकार का पुराना दर्द, जैसे गठिया अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे उच्च रक्तचाप पिछली सिर या गर्दन की चोटें.
तीव्र माइग्रेन एक माइग्रेन हमले के लिए एक सामान्य शब्द है जिसे क्रोनिक के रूप में निदान नहीं किया जाता है. इस प्रकार का दूसरा नाम एपिसोडिक माइग्रेन है. जिन लोगों को एपिसोडिक माइग्रेन होता है उन्हें महीने में 14 दिन तक दौरे पड़ते हैं. इस प्रकार, एपिसोडिक माइग्रेन वाले लोगों को क्रोनिक माइग्रेन वाले लोगों की तुलना में एक महीने में कम दौरे पड़ते हैं.
बच्चों में माइग्रेन बच्चों में वयस्कों की तरह ही कई प्रकार के माइग्रेन हो सकते हैं. जब तक वे बड़े किशोर नहीं हो जाते, बच्चों में सिर के दोनों तरफ लक्षण होने की अधिक संभावना हो सकती है. बच्चों में सिर के पिछले हिस्से में सिरदर्द होना दुर्लभ है. उनके माइग्रेन का दौरा 2 से 72 घंटों तक रहता है. माइग्रेन के कुछ प्रकार बच्चों में अधिक आम हैं. अधिक सामान्य प्रकारों में से एक पेट का माइग्रेन है. पेट के माइग्रेन से पीड़ित बच्चों को सिरदर्द के बजाय पेट में दर्द हो सकता है. दर्द मध्यम या गंभीर हो सकता है. आमतौर पर दर्द पेट के बीच में, नाभि के आसपास होता है. लेकिन दर्द इस विशिष्ट क्षेत्र में नहीं हो सकता है. पेट में बस “दर्द” महसूस हो सकता है. आपके बच्चे को भी सिरदर्द का अनुभव हो सकता है. भूख की कमी उल्टी के साथ या उसके बिना मतली प्रकाश या ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं.
आप घर पर कुछ चीजें आज़मा सकते हैं जो माइग्रेन के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं जैसे एक शांत, अंधेरे कमरे में लेटना, अपने सिर या कनपटी की मालिश करें, अपने माथे पर या अपनी गर्दन के पीछे एक ठंडा कपड़ा रखें.
कभी-कभी माइग्रेन के लक्षण स्ट्रोक के लक्षणों की तरह हो सकते हैं. यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को सिरदर्द हो तो तत्काल चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.
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