क्या है हाइड्रोनेफ्रोसिस?
हाइड्रोनेफ्रोसिस किडनी से जुड़ी परेशानी है. इस समस्या में किडनी में सूजन देखने को मिलती है जो की यूरीन के जमा होने के कारण होता है. किसी करीबी की सलाह पर रितु ने मेदांता हॉस्पिटल के पीडिएट्रिक सर्जरी एंड पीडिएट्रिक यूरोलॉजी के निदेशक डॉ. संदीप कुमार सिंहा से अपना जांच करवाया. इस दौरान डॉ. सिंहा ने कहा की इस बारे में घबराने की बात नहीं है. आजकल कई ऐसी अल्ट्रासाउंड मशीन हैं जो इस बात को बताती हैं और आगे भी इन पर नजर रख सकते हैं.
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कैसे होता है इलाज?
इस बीमारी का इलाज के लिए गर्भ में शिशु पर नजर रखी जाती है और बच्चे के जन्म के बाद कुछ जांच की जाती है. रिपोर्ट के ऊपर निर्भर करता है की इलाज किस तरह से करना है. डॉ. सिंहा ने ये भी बताया कि जब बच्चे का जन्म हुआ “पहले ही सप्ताह में किडनी और ब्लैडर का अल्ट्रा साउंड करा लिया.” यूरिनरी इंफेक्शन को रोकने के लिए एंटी-बायोटिक्स के लो-डोज भी बच्चे को दिया गया. इस समस्या को देखने के लिए ब्लैडर का एक्स-रे और रीनल स्कैन भी किया जाता है. इन जांच के बाद ही आगे की बात साफ होती है कि कहीं ऑपरेशन तो नहीं करना पड़ेगा या फिर समय के साथ ही ठीक हो जाए. इस समस्या को ठीक करने के लिए ऑपरेशन होता है जो मिनिमली इनवेसिव पद्धति (की-होल) से पॉसिबल है. अब नवजात बच्चों में लैप्रोस्कोपिक पायलोप्लास्टी भी होता है. समय पर इलाज से बच्चा पूरी तरीके से ठीक हो जाता है.
घबराने की बात नहीं
अगर ये परेशानी आपके साथ या किसी जानने वाले के साथ होती है तो बिल्कुल भी नहीं घबराएं. फीटल हाइड्रोनफ्रोसिस के केस कई बार देखने को मिलते हैं. समय पर पता चलने पर इसे गंभीरता से लें और डॉक्टर की सलाह मानें.
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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.