प्रयागराज के इस अस्पताल में बिना चीरे निकाला जाएगा पथरी, इस तकनीक से होगा ऑपरेशन

प्रयागराज: मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में Spyglass और EHL (Electrohydraulic Lithotripsy) तकनीक की स्थापना और सफल उपयोग की शुरुआत कर दी गई है.

By Prashant Tiwari | February 20, 2025 3:52 PM
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प्रयागराज: मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में अत्याधुनिक Spyglass और EHL (Electrohydraulic Lithotripsy) तकनीक की स्थापना और सफल उपयोग की शुरुआत कर दी गई है. इस नई तकनीक के माध्यम से अब कॉमन बाइल डक्ट (CBD) में मौजूद बड़ी से बड़ी पथरी भी बिना किसी बड़े ऑपरेशन के, दूरबीन विधि से तोड़कर निकाली जा सकेगी. गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. एस. पी. मिश्रा और डॉ. संदीप प्रजापति के नेतृत्व में इस तकनीक का सफल उपयोग किया गया. इस प्रक्रिया के तहत एक 55 वर्षीय मरीज, जिसकी CBD में 2.5 सेमी की बड़ी पथरी थी, पर इस तकनीक का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया. Spyglass तकनीक द्वारा पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़कर पूरी तरह से निकाला गया, जिससे मरीज बिना किसी बड़े ऑपरेशन के स्वस्थ हो गया.

मरीजों के लिए वरदान साबित होगी नई तकनीक

इस नई तकनीक की उपलब्धता के बारे में बात करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. एस. पी. मिश्रा ने बताया, “Spyglass और EHL तकनीक के आने से अब मरीजों को बड़ी सर्जरी की आवश्यकता नहीं होगी. यह प्रक्रिया कम जोखिम वाली है और मरीज जल्द ही स्वस्थ होकर घर जा सकता है. खासकर ऐसे मरीज जिनके कॉमन बाइल डक्ट में बड़ी पथरी बन जाती है, उन्हें अब बिना चीरे की आधुनिक सुविधा मिल सकेगी. यह तकनीक प्रयागराज और आसपास के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.”

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में सुपर स्पेशलाइजेशन से खुलीं नई राहें

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में सुपर स्पेशलाइजेशन (डी.एम.) कोर्स करने का श्रेय डॉ. एस. पी. मिश्रा और डॉ. मनीषा द्विवेदी को जाता है, जिन्होंने वर्षों पहले अथक प्रयास कर यह उपलब्धि हासिल की थी. उनके प्रयासों से विभाग को उच्च स्तरीय शैक्षणिक मान्यता मिली और अब यहां से हर वर्ष 4 छात्र डी.एम. सुपर स्पेशलाइजेशन कर रहे हैं. गौरतलब है कि पूरे उत्तर प्रदेश में डी.एम. (गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) की सीट चुनिंदा संस्थानों में ही उपलब्ध है, जिनमें से मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है. 

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की प्रमुख उपलब्धियां

प्रत्येक वर्ष 10,000 से अधिक एंडोस्कोपी और 1,200 से अधिक ईआरसीपी प्रक्रियाएं की जाती हैं.

CBD स्टोन के इलाज में सफलता दर 95% से अधिक. 

लिवर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के इलाज में नवीनतम तकनीकों का उपयोग. 

उत्तर प्रदेश में कुछ गिने-चुने संस्थानों में शामिल, जहां डी.एम. सुपर स्पेशलाइजेशन की सीट उपलब्ध है. 

सामान्य मरीजों के साथ-साथ गंभीर रोगियों को भी उन्नत इलाज की सुविधा. 

Spyglass और EHL तकनीक से मरीजों को क्या लाभ होगा?

बिना बड़े ऑपरेशन के इलाज संभव. 

जटिल मामलों में भी सफलता की उच्च दर. 

मरीज का जल्दी ठीक होना और अस्पताल में कम समय बिताना. 

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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