Independence Day 2024: यूपी की इन जगहों का आजादी की लड़ाई से रहा है नाता, घूमने के लिए है खास
Independence Day 2024: भारत को आजादी दिलाने में कई लोगों का अहम योगदान रहा है. इनका नाता देश के विभिन्न जगहों से रहा है. यह जगह स्वतंत्रता दिवस पर घूमने के लिए खास है. तो आइए आपको बताते हैं यूपी की कुछ जगहों के बारे में, जिनका देश को आजाद कराने में योगदान रहा है.
By Rupali Das | August 12, 2024 12:05 PM
Independence Day 2024: भारत के कई राज्य ऐसे हैं, जिनकी आजादी की लड़ाई में काफी सक्रिय भूमिका रही है. इस साल 15 अगस्त को भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. इस दिन सारे भारतवासी आजादी का जश्न मनाते हैं. भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में शामिल कई जगहों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. भारत की आजादी में उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों का अहम योगदान रहा है, जहां आप स्वतंत्र दिवस के मौके पर घूमने जा सकते हैं. उत्तर प्रदेश में मौजूद कुछ ऐसी ही जगहें हैं:
मेरठ
मेरठ उत्तर प्रदेश का वह क्षेत्र है, जहां से 10 मई 1857 को आजादी के पहले विद्रोह की शुरुआत हुई थी. आज भी इस दिन को क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है. मेरठ में 10 मई की शाम को चर्च का घंटा बजते ही लोग घरों से निकलकर इकट्ठा हो गए थे. जिसके बाद सदर बाजार में अंग्रेज फौज के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजा, जो देखते ही देखते दिल्ली तक फैल गया. इस तरह मेरठ से 1857 में आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत हुई.
आजादी की लड़ाई में यूपी के झांसी का इतिहास सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. 1857 की क्रांति में विद्रोह की अगुवाई करने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज सरकार की जड़ों को हिला दिया था. हालांकि, इस लड़ाई में 22 वर्षीय रानी लक्ष्मीबाई को वीरगति प्राप्त हुई थी.
चौरी चौरा
भारतीय क्रांतिकारियों ने गोरखपुर के पास 1922 में विद्रोह के रूप में ब्रिटिश पुलिस चौकी को आग लगा दी थी. इस विद्रोह में 22 पुलिस जलकर मर गए थे, इसे चौरी चौरा कांड नाम दिया गया था. इसी कांड के कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन भी वापस ले लिया था.
इलाहाबाद
त्रिवेणी संगम पर स्थित यूपी का इलाहाबाद शहर आजादी की लड़ाई का केंद्र रहा है. यहां का अल्फ्रेड पार्क वही स्थान है, जहां शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों के साथ हुए मुठभेड़ में खुद को गोली मार ली थी. यही कारण है इलाहाबाद का अल्फ्रेड पार्क आज भी चंद्रशेखर आजाद की शौर्य गाथा गाता है.
जब 1857 की क्रांति पूरे देश में फैलने लगी, तो कानपुर ने भी आजादी की जंग में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. कानपुर और अन्य जगहों पर तांत्या टोपे ने विद्रोह का नेतृत्व किया था.
लखनऊ
1857 की क्रांति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले शहरों में लखनऊ भी शामिल था. यहां अवध के नवाब वाजिद अली शाह की बेगम हजरत महल ने इस विद्रोह की कमान संभाली थी.