विश्व का सबसे प्राचीन शिव मन्दिर आज भी क्यों है अधूरा, जानें कारण

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित है विश्व का सबसे प्राचीन शिव मंदिर -भोजेश्वर शिव मन्दिर.

By Pratishtha Pawar | June 27, 2024 6:00 PM
feature

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर भोजपुर गांव की पहाड़ी पर भगवान शिव का एक अधूरा बना मंदिर है. इस मंदिर को Somnath Of The East यानी पूर्व का सोमनाथ मंदिर भी कहा जाता है. हालांकि इसका निर्माण कार्य अब भी अधूरा है.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दिल में बसा भोजेश्वर मंदिर वास्तुकला का खजाना है. भगवान शिव को समर्पित यह प्राचीन मंदिर मध्ययुगीन भारतीय वास्तुकला की भव्यता का जीता-जागता प्रमाण है. अपनी अधूरी लेकिन विस्मयकारी संरचना के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर इतिहास के प्रति उत्साही, वास्तुकला प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों के लिए एक दर्शनीय स्थल है.

राजा भोज ने बनवाया था यह मंदिर

भोजेश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में राजा भोज द्वारा करवाया गया था, जो एक महान राजा थे. उनकी कला, संस्कृति और वास्तुकला में योगदान ने भारतीय इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है. स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार राजा भोज ने एक गंभीर बीमारी से ठीक होने के बाद दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना के उद्देश्य से एक मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की थी. उनके प्रयासों के बावजूद मंदिर आज भी अधूरा है.

मंदिर में स्थित है विशाल शिवलिंग

मंदिर की भव्यता इसके विशाल शिवलिंग से उजागर होती है, जो 7.5 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसके विशाल शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह प्राचीन समय का सबसे बड़ा शिवलिंग है.

अलग तरीके से होता है शिवलिंग का अभिषेक

जिस चबूतरे पर यह विशालकाय शिवलिंग टिका हुआ है, वह इतना ऊंचा है कि पुजारी को स्वयं सीढ़ी लगाकर ऊपर जाना होता है. यह मंदिर चार बड़े स्तंभों पर टिका हुआ है.

आखिर क्यों है विश्व का सबसे प्राचीन शिव मन्दिर आज भी अधूरा?

बताया जाता है कि इस मंदिर को एक ही रात में बनाना था, जिसके कारण सूर्योदय तक इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका. इसके बाद आज तक यह मंदिर अधूरा है. जानकारी के अनुसार, सूर्योदय तक सिर्फ इसके ऊपर के गुंबद का काम ही पूरा हो पाया और उसके बाद से यह मंदिर अधूरा ही रह गया है.

माता कुंती ने की थी भगवान शिव की आराधना

यहां की एक और कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है. पांडवों के अज्ञातवास के समय माता कुंती ने भोजपुर मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की थी. साल भर यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. मकर सक्रांति और शिवरात्रि के वक्त पर मेला लगता है. लाखों भक्त यहां भगवान से अपनी मुराद की कामना लेकर आते हैं.

Also Read- भारत का इकलौता सूर्य मंदिर जहां पश्चिम की ओर खुलता है द्वार, यहां लगती है भक्तों की कतार

नेपाल से मात्र 56 किमी दूर है मां सीता का यह पावन धाम

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version