Panchmadhi Tour: पांच पांडव गुफाओं के नाम पर ही इस जगह का नाम पड़ा. हालांकि, इनमें बौद्ध-चित्रकारी की गयी है. चोटी पर स्थित इन गुफाओं को दस हजार साल पुराना बताया जाता है. जटाशंकर भी एक गुफा है, जो गहरी घाटी में स्थित है. यहां प्राकृतिक खंबे और शिवलिंग हैं. भगवान शिव को समर्पित इस जगह पर दो छोटे तालाब हैं, जिनमें झरनों से पानी आता है.
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले को अब नर्मदापुरम जिले का नाम दिया जा चुका है. यहीं सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच एक घाटी में स्थित है- पचमढ़ी. कुदरत का सौंदर्य यहां पग-पग पर इतनी अधिक मात्रा में बिखरा है कि इसे ‘सतपुड़ा की रानी’ कहा जाता है. यह जगह 150 से भी अधिक वर्षों से लोगों को आकर्षित कर रही है. हर साल यहां बड़ी संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं और यहां के असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने दिलों और कैमरों में भर कर ले जाते हैं. कथाएं कहती हैं कि महाभारत काल में अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां आये थे और रहने के लिए पांच (पंच) गुफाएं (मढ़ी) बनायी थीं.
ये गुफाएं आज भी सैलानियों के लिए बहुत बड़ा आकर्षण हैं. हालांकि, भूविज्ञानियों का मानना है कि ये गुफाएं महाभारत काल से भी पहले की हैं. बौद्ध काल की गुफाएं भी यहां पर मिली हैं. आधुनिक समय में पचमढ़ी को खोजने और मौजूदा स्वरूप में लाने का श्रेय अंग्रेज अफसर कर्नल जेम्स फोर्सिथ को जाता है, जो 1857 में बंगाल से झांसी जाते हुए रास्ते में इस जगह को देख कर मोहित हो गया था.
कर्नल जेम्स के कहने पर ही ब्रिटिश हुकूमत ने इस जगह को अपनी सेना के लिए एक हिल-स्टेशन, सैनेटोरियम और छावनी के तौर पर विकसित करना शुरू किया. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान यह जगह उनकी गर्मियों की राजधानी भी बन जाया करती थी. आज भी यह जगह सेना की छावनी के तौर पर ज्यादा पहचानी जाती है. ब्रिटिश काल के बंगले, कॉटेज आदि आज भी यहां बहुतायत में हैं.
पंचमढ़ी अपने खजाने से खूबसूरती के ऐसे मोती बिखेर रखे हैं
पंचमढ़ी में हर तरफ कुदरत ने अपने खजाने से खूबसूरती के ऐसे मोती बिखेर रखे हैं कि आप उन्हें चुनते-चुनते थक जायेंगे. यहां आसपास घना जंगल है जिसमें चीता, तेंदुआ, हिरण, सांभर, चिंकारा, नीलगाय, जंगली कुत्ते, उड़ने वाली गिलहरियां जैसे कई तरह के वन्य जीव पाये जाते हैं. यहां पचमढ़ी पार्क में पेड़-पौधों की ऐसी-ऐसी किस्में हैं कि यूनेस्को ने इसे जीवमंडल रिजर्व की लिस्ट में जगह दी है. करीब 5000 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जंगल में नर्मदापुरम, छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों की जमीन आती है और इसमें बोरी अभ्यारण्य, सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क और पचमढ़ी अभ्यारण्य समाहित हैं.
चौड़ागढ़ यहां की दूसरी सबसे ऊंची जगह है
धूपगढ़ यहां की सबसे ऊंची जगह है. समुद्र तल से करीब 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह जगह सूर्योदय और सूर्यास्त के समय गुलजार हो उठती है. रात में यहां से आसपास के शहर-कस्बों की जगमगाती बत्तियां मन मोह लेती हैं. चौड़ागढ़ यहां की दूसरी सबसे ऊंची जगह है. यहां गोंड राजा संग्राम शाह का बनवाया चौड़ागढ़ किला है और चोटी पर देवों के देव महादेव का एक मंदिर भी.
सूर्योदय देखने के लिए यह जगह सबसे शानदार मानी जाती है और सैलानी जब 1300 सीढ़ियां चढ़ कर यहां पहुंचते हैं, तो यहां का नजारा देख दंग रह जाते हैं. रजत प्रपात यहां का बड़ा आकर्षण है. भारत के सबसे अधिक ऊंचाई वाले झरनों में गिना जाने वाला यह एक ऐसा अनोखा झरना है, जो 351 फुट की ऊंचाई से सीधा गिरता है. जब इसके पानी पर सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो वह चांदी-सा चमकने लगती हैं. इसलिए इसे रजत (चांदी) प्रपात कहा गया है.
यहां की गुफाओं को दस हजार साल पुराना बताया जाता है
पांच पांडव गुफाओं के नाम पर ही इस जगह का नाम पड़ा. हालांकि, इनमें बौद्ध-चित्रकारी की गयी है. चोटी पर स्थित इन गुफाओं को दस हजार साल पुराना बताया जाता है. जटाशंकर भी एक गुफा है, जो गहरी घाटी में स्थित है. यहां प्राकृतिक खंबे और शिवलिंग हैं. भगवान शिव को समर्पित इस जगह पर दो छोटे तालाब हैं, जिनमें झरनों से पानी आता है.
इस हिल-स्टेशन का मौसम लगभग साल भर सुहाना बना रहता है
एक में ठंडा पानी है और दूसरे में गर्म. इनके अलावा यहां बी-फॉल, अप्सरा विहार व कुंड, डचेस फॉल, माउंट रोजा, हांडी खोह, गुप्त महादेव, द्रौपदी कुंड, कैथोलिक चर्च, रीछ गढ़ जैसी ढेरों जगहें हैं, जिन्हें देखा जा सकता है. समुद्र तल से 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण इस हिल-स्टेशन का मौसम लगभग साल भर सुहाना बना रहता है.
कैसे पहुंचें
पचमढ़ी भोपाल से लगभग 210 किलोमीटर दूर है जहां एयरपोर्ट है. यह भोपाल, नागपुर, इंदौर, जबलपुर से सड़क से जुड़ा है. करीबी रेलवे स्टेशन पिपरिया 55 किमी दूर है. करीबी बड़ा स्टेशन इटारसी जंक्शन है.
दीपक दुआ
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