Jharkhand Tourism: बूढ़ा महादेव में 600 साल पुरानी है जल चढ़ाने की परंपरा
Jharkhand Tourism: हजारीबाग में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर मौजूद है, जिसे बूढ़ा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में 600 सालों से सावन के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. आइए आपको बताते हैं इस मंदिर से जुड़े कुछ खास तथ्य.
By Rupali Das | July 16, 2024 8:33 AM
Jharkhand Tourism: झारखंड राज्य देश में पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है. यहां मौजूद सुंदर झरनों, कल-कल बहती नदियों, ऊंची पहाड़ियों, खूबसूरत घाटियों, मनमोहक वादियों और ऐतिहासिक-धार्मिक स्थलों की ओर पर्यटक खींचे चले आते हैं. हर साल आपको किसी संख्या में सैलानी झारखंड घूमने आते हैं. इस राज्य का प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता संरक्षण और प्राचीन मंदिर इसे खास बनाते हैं. झारखंड में मौजूद बूढ़ा महादेव मंदिर में भी सालों भर भक्तों की भीड़ भरी रहती है. अगर आपका भी सावन महीने में झारखंड घूमने का मन हो रहा है तो जरूर आएं बूढ़ा महादेव मंदिर.
Sawan 2024: क्या है इस मंदिर की विशेषता
झारखंड के हजारीबाग जिले में स्थित बूढ़ा महादेव या बुढ़वा महादेव मंदिर, भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में पिछले 600 सालों से जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. सावन के महीने में श्रद्धालु बाबा का जलाभिषेक करने बूढ़ा महादेव मंदिर पहुंचते हैं. इस मंदिर के प्रति लोगों में अपार श्रद्धा और आस्था है. यहां बड़ी संख्या में लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं. कहा जाता है कि बूढ़ा महादेव मंदिर में भक्त जो भी मनोकामना मांगते हैं उसके पूरा होने के बाद अगले साल फिर वे यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं. लोगों का मानना है कि बूढ़ा महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग का निर्माण पाषाण काल में हुआ था. यहां हर साल महाशिवरात्रि और सावन माह में विशेष तैयारियां की जाती है. स्थानीय लोगों के अनुसार भगवान बुद्ध ने भी इस मंदिर का दौरा किया था.
कहा जाता है कि पहले बूढ़ा महादेव मंदिर का नाम बुद्धा महादेव मंदिर था. एक प्रसिद्ध कहानी के मुताबिक भगवान बुद्ध जब ज्ञान प्राप्ति के लिए भ्रमण कर रहे थे तब कुछ समय के लिए वह शिव मंदिर में रुके थे. कुछ दिनों तक मंदिर में निवास करने के बाद बुद्ध यहां से चले गए. उनके जाने के बाद लोगों ने मंदिर को बुद्धा महादेव मंदिर के नाम से पुकारना शुरू कर दिया. समय के साथ मंदिर का नाम बदलकर बुद्धा महादेव से बूढ़ा महादेव मंदिर हो गया. यही कारण है बूढ़ा महादेव मंदिर के प्रति बौद्ध धर्म के लोगों में भी असीम श्रद्धा है. इस प्राचीन शिवालय में हजारों की संख्या में लोग पूजा अर्चना करने आते हैं. इस मंदिर का सावन के दौरान महत्व बढ़ जाता है. यह जगह बौद्ध और हिंदू धर्म के धार्मिक स्थल के रूप में मशहूर है.