West Bengal Tourism: पश्चिम बंगाल अपनी कला, साहित्य, संस्कृति और प्राचीन मंदिरों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. यहां के समुद्र तट, खूबसूरत वन और ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है. यहां मौजूद कई धार्मिक स्थल अपने इतिहास व स्थापत्य कला के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं. बंगाल में स्थित तारापीठ मंदिर हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक स्थल और सिद्धपीठ है. यह माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है.
West Bengal Tourism: जाने क्या है यहां पहुंचने का मार्ग
तारापीठ महानगर कोलकाता से 222 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद एक प्रमुख धार्मिक केंद्र, जो पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है. यह स्थान पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में पड़ता है. बीरभूम जिले को शक्तिपीठों का स्थान कहते हैं. यहां 51 शक्तिपीठों में से पांच शक्तिपीठ मौजूद हैं. ये सभी शक्तिपीठ बकुरेश्वर, नालहाटी, बन्दीकेश्वरी, फुलोरा देवी और तारापीठ के नाम से विख्यात हैं. हर दिन हजारों भक्त मां तारा के दर्शन करने तारापीठ आते हैं. यह मंदिर अपनी दैवीय शक्ति और तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है.
Also Read: West Bengal tourism: मां भवतारिणी का ऐतिहासिक मंदिर है “दक्षिणेश्वर काली मंदिर”
West Bengal Tourism: क्या है इस मंदिर की विशेषता
तारापीठ मंदिर बंगाल के बीरभूमि जिले में मौजूद प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थलों में से एक है . इस मंदिर से बंगाल के लोगों का आध्यात्मिक विश्वास जुड़ा हुआ है. तारापीठ मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से संबंधित है. तारापीठ को मुनि वशिष्ठ का सिद्धासन माना जाता है, जो राजा दशरथ के पुरोहित थे. कहा जाता है, इसी स्थान पर महर्षि वशिष्ठ ने मां तारा की पूजा-अर्चना कर सिद्धियां प्राप्त की थीं. तारापीठ मंदिर हिंदू धर्म के लोगों का पवित्र धाम है.
Also Read: Maa Dewri Mandir: आस्था और विश्वास का केंद्र
इस जगह माता सती की आंख की पुतली का तारा गिरा था. यही कारण है कि इस मंदिर को तारापीठ मंदिर या नयन तारा के नाम से जाना जाता है. यह एक प्रसिद्ध दार्शनिक स्थल है. तारापीठ के संदर्भ में कई चमत्कारिक किस्से प्रसिद्ध हैं. बताया जाता है कि रामकृष्ण परमहंस की तरह सिद्धसंत वामाखेपा को मां महाकाली ने दर्शन और दिव्य ज्ञान दिया था. मां से दिव्य ज्ञान प्राप्त करते वक्त वामाखेपा केवल 18 वर्ष की आयु के थे. वामाखेपा के अनुसार, तारापीठ में मां तारा बाघ की खाल पहने हुए एक हाथ में तलवार, एक हाथ में कमल फूल, एक हाथ में कंकाल की खोपड़ी और एक हाथ में अस्त्र लिए हुए प्रकट हुई थीं. माता के पैरों में पायल थी और केश खुले हुए थे. इस दौरान माता की जीभ बाहर निकली हुई थी. तारापीठ तांत्रिकों और तंत्र सिद्धि के लिए विशेष जगह है. यहां मौजूद श्मशान का विशेष महत्व है. यह स्थान अघोरियों के लिए बेहद पवित्र है. मान्यता है कि भक्त जन जो भी मनोकामना लेकर मां तारा के पास आते हैं, वह अवश्य पूरी होती है. तारापीठ मंदिर एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल और धार्मिक केंद्र है.
Raksha Bandhan Special: राखी पर बहनों के साथ बनानी हैं यादें, तो रांची के इन जगहों पर जाना न भूलें
बच्चे के साथ कर रहे हैं पहली बार यात्रा, तो नोट कर लें ये बातें
Travel Tips: ट्रैवल करते समय जरूर ध्यान रखें ये बातें, सफर बनेगा याद और सुहाना
National Mountain Climbing Day: क्यों मनाया जाता है माउंटेन क्लाइंबिंग डे, जानें भारत में कहां-कहां इसे करना है बेस्ट