रामचंद्र छत्रपति
फिर चाहे वह डेरे के लोगों द्वारा आस-पड़ोस के लोगों को धमकाकर या तंग करके जमीन बेचने की खबर हो, अनुयायियों की जीप से कुचलकर एक बच्ची के कुचले जाने के बाद अनुयायियों द्वारा पीड़ित परिवार को धमकाने का मामला हो, तारों में हुक लगाकर सालाना सत्संग के समय शहर को चमकाने की खबर हो या फिर किसी साध्वी के यौन-शोषण की सनसनीखेज खबर, सभी को उन्होंने अपने अखबार में प्रमुखता से जगह दी. उनके खबरों की प्रमाणिकता इतनी ठोस होती थी कि इसके बारे में डेरा अनुयायियों के पास कोई भी कोई तर्क या खंडन नहीं होता था. इसी क्रम में उन्होंने अपने अखबार में वही चिट्ठी छाप दी थी जो साध्वी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, चीफ जस्टिस पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट सहित कई लोगों को भेजी थी.
20 अक्तूबर, 2002 को सिरसा में ‘पूरा सच’ के बैनर तले विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. योगेंद्र यादव इसमें मुख्य वक्ता थे. आभार व्यक्त करने के लिए जब छत्रपति मंच पर आये तब उन्होंने कहा था कि ‘न जाने क्यों मेरे अन्य पत्रकार साथी बेबाकी के साथ नहीं लिख पा रहे हैं. उनके पास सामर्थ्य है शक्ति है, और वो वक्त जल्दी ही आयेगा जब मेरे साथी पत्रकारों कि कलम भी बेबाकी के साथ चलेगी.’ 24 अक्तूबर, 2002 को जब वो अपने कार्यालय का कार्य निपटा कर अपने घर आ चुके थे, तब डेरा के विरोध में खुल कर आने के कारण राम रहीम के लोगों ने उनपर गोलियां चलवा दी. गोली लगने के बाद वो 28 दिनों तक अस्पताल में मौत से लड़ते रहे. इस दौरान पुलिस को दिये गये अपने स्टेटमेंट में उन्होंने राम रहीम का नाम भी लिया लेकिन पुलिस ने राम रहीम का नाम केस में नहीं डाला. गोली लगने से पहले उन्होंने डेरे की आमदनी के स्रोतों का भंडाफोड़ करने की बात कही थी.
साध्वी ने 2002 में वाजपेयी को पत्र लिखा था
1. चिट्ठी में किसी का नाम नहीं था. सिर्फ आरोप लगाये गये थे कि सिरसा के डेरा सच्चा सौदा में पांच साल से साध्वी के रूप में रह रही है.
2. इसमें कहा कि डेरा में साध्वियों का यौन शोषण किया जा रहा है.
3. चिट्ठी में दो जगह की साध्वी का भी जिक्र था जिनके भी यौन उत्पीड़न किया गया
4. सहायता की गुहार लगाते हुए लिखा गया मैं नाम-पता लिखूंगी तो मेरी हत्या कर दी जायेगी.
5. जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराने और साध्वियों का मेडिकल जांच की मांग की गयी थी.