नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में 50 लाख किलोग्राम से अधिक पटाखों के भंडारण से विस्मित होकर सोमवार को टिप्पणी की, ‘आपके पास तो भारतीय सेना से भी ज्यादा विस्फोटक सामग्री है.’
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह भी टिप्पणी की, ‘दीवाली पांच दिन मनायी जाती है. इन पांच दिनों में रोजाना 10 लाख किलोग्राम पटाखों का उपयोग होता है. ‘शीर्ष अदालत उस समय चकित रह गयी जब एक वकील ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आपूर्तिकर्ताओं और वितरकों के पास करीब 50 लाख किलोग्राम पटाखों का भंडार है और अकेले दिल्ली में करीब एक लाख किलोग्राम पटाखों का भंडार है.
पटाखों के घरेलू निर्माताओं के वकील ने जब यह आरोप लगाया कि इन विदेशी पटाखों की ‘गुणवत्ता को नियंत्रित’ करने की कोई व्यवस्था नहीं है तो पीठ ने अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद से सवाल किया कि चीन में निर्मित पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए उन्होंने अब तक क्या कदम उठाये हैं. इस पर उन्होंने कहा कि वह इस मसले पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करके न्यायालय को सूचित करेंगे.
शीर्ष अदालत ने पिछले साल नवंबर में सरकार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों की थोक और फुटकर बिक्री के लिए सभी लाइसेंस अगले आदेश तक के लिए निलंबित करने का निर्देश दिया था. न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया था कि अगले आदेश तक ऐसे लाइसेंस न तो दिये जायें और न ही उनका नवीनीकरण किया जाये.
इस मामले में सोमवार को सुनवाई के दौरान पटाखा निर्माताओं ने कहा कि दिल्ली औार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दीवाली के अवसर पर वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के अनेक कारण है. इसमें पड़ोसी राज्यों में फसल को जलाना भी शामिल है. दिल्ली पुलिस ने न्यायालय को बताया कि 2016 में उसने पटाखों की बिक्री के लिए 1068 आवेदनों में से सिर्फ 968 को ही लाइसेंस प्रदान किये थे. उसने कहा कि ये लाइसेंस दशहरा और दीवाली पर्व के दौरान सिर्फ 24 दिन के लिए ही दिये गये थे. दूसरी ओर, पटाखा निर्माताओं के वकील ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 435 और दिल्ली में 175 स्थायी लाइसेंस हैं.
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