नयी दिल्ली : रोहिंग्या मुसलमानों के भारत में रहने के मुद्दे परआज सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपनाजवाब दाखिल किया. केंद्र सरकार नेसौंपे गये 16 पन्ने के हलफनामे में कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों का भारत में रहना गैर कानूनी है और उन्हें सरकार संवैधानिक दर्जा नहीं दे सकती है. केंद्र ने यह भी कहाहै कि कुछ रोहिंग्या मुसलमान आतंकवाद में शामिल हैं अौर ऐसे में वेदेश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप न करे और इसे सरकार पर छोड़ दे. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई तीन अक्तूबर को दोपहर दो बजे करेगा. इस मामले में गृहमंत्री राजनाथ ने आज कहा कि केंद्र ने अपना पक्ष रख दिया है औरमामला सुप्रीम कोर्ट केविचाराधीन है और जो भी फैसला आयेगा उसका हमें इंतजार करना चाहिए.
उधर, भारत सरकार के कोर्ट में पेश किये गये हलफनामे के बाद इस मामले में बांग्लादेश की सरकार का भी बयान आया है. बांग्लादेश ने भी रोहिंग्या मुसलमानों को अपने यहां नहीं रखना चाहता है. बांग्लादेश के मंत्री मोहम्मद शहरयार ने कहा है कि वे बांग्लादेशकी सुरक्षा के लिए खतरा हैं, हमारे यहां पूर्व में घटनाएं घट चुकी हैं, यही कारण हैं कि हम उनको लेकर सावधान हैं. मोहम्मदशहरयार बांग्लादेश केकनिष्ठ विदेश मंत्री हैं.
केंद्र ने अपने जवाब में कहा है कि कुछ रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत मेंअपनाजाली पहचान पत्र बनवाया है और वे मानवतस्करीमें संलग्न हैं.केंद्र ने यह भी कहा है कि रोहिंग्या हुंडी व हवाला के जरिये अवैध फंड जुटाने में भीसंलग्न हैं.केंद्र ने कहा है कि देश में 40 हजार से अधिक रोहिंग्यामुसलमान अवैध तरीके से रहरहे हैं. सरकार ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार की सीमा से कम सुरक्षा वाले हिस्से से भारत में प्रवेश कर जाते हैं.
उल्लेखनीयहैकि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह केंद्र द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से निकालने से रोके. वहीं, गृह राज्य मंत्री किरण रिजेजू ने यह बात दोहरा चुके थे कि रोहिंग्या को यहां से वापस भेजा जायेगा, वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में सरकार का पक्ष शीर्ष अदालत में रखने की बात कही थी. दो दिन पूर्व रांची के दौरे पर आये भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी कहा था कि सरकार रोहिंग्या के मदद के लिए तैयार है, लेकिन वह म्यांमा की सीमा में भारत में नहीं. रोहिंग्या म्यांमार का विस्थापित समुदाय है, जिसे वहां के नये नागरिकता कानून के तहत नागरिकता प्रदान नहीं की गयी है.