26/11 हमला : बोलीं देविका- मेरे पास गन होती तो उस दिन कसाब को कोर्ट में ही मौत के घाट उतार देती

नयी दिल्ली : 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को दुनिया कभी भी भूला नहीं सकती है. मुंबई के इतिहास में खून से रंगी इस तारीख की आज 9वीं बरसी है. 10 हमलावरों ने मुंबई में खून की नदियां बहा दी थी, जिसके प्रमाण अभी भी मौजूद हैं. हमले के प्रत्यक्षदर्शी उस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2017 10:43 AM
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नयी दिल्ली : 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को दुनिया कभी भी भूला नहीं सकती है. मुंबई के इतिहास में खून से रंगी इस तारीख की आज 9वीं बरसी है. 10 हमलावरों ने मुंबई में खून की नदियां बहा दी थी, जिसके प्रमाण अभी भी मौजूद हैं. हमले के प्रत्यक्षदर्शी उस मंजर को याद कर सिहर जाते हैं. एक ओर निर्दोषों की निर्मम हत्या का दुख है तो वहीं हमले का मास्टरमाइंड आज भी पकड़ से बाहर है. देश की जनता चाहती है कि हमले के गुनहगार हाफिज सईद को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, जो वर्तमान में पाक में आजाद घूम रहा है.

एक प्रत्यक्षदर्शी देविका ने अपनी आंखों से खूनी खेल का वो खौफनाक मंजर देखा था जिसे वह भूला नहीं सकतीं हैं. उन्होंने कहा कि जब मैंने कसाब को कोर्टरूम में देखा तो काफी गुस्सा आया था. अगर मेरे हाथ में गन होती तो मैं उसे वहीं मौत के घाट उतार देती. वैसे भी कसाब एक ‘मामूली मच्छर’ था, उम्मीद है बड़े आतंकियों को भी किसी दिन सजा मिलेगी.

एक और शख्‍स रहीम अंसारी हैं जो उस दिन को याद कर गुस्से से लाल हो जाते हैं. मुंबई हमलों में उन्होंने अपने 6 लोगों को खोया था. वह कहते हैं कि उस घटना के बाद मैं डिप्रेशन में चला गया था. मेरे रिश्तेदारों के पास बचने का कोई मौका नहीं था. मैं खुश हूं कि दोषियों को सजा हुई लेकिन हाफिज सईद पाकिस्तान में है. अच्छा होगा कि भारत सरकार उसे यहां लाए और मौत की सजा दे.

जानिए कौन है हाफिज सईद

हाफिज मोहम्मद सईद आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक और जमात-उद-दवा का प्रमुख है. हाफिज का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा में एक रूढ़िवादी पंजाबी परिवार में हुआ था. हाफिज ने पाकिस्तान स्थित पंजाब विश्वविद्यालय और किंग सउद विश्वविद्यालय से दो विषयों में मास्टर डिग्री और इस्लामिक अध्ययन व अरबी भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त की है. हाफिज को तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक ने इस्लामिक आइडियोलॉजी कौंसिल में नौकरी प्रदान की थी. वह लाहौर स्थित इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में इस्लािमक स्टडीज का प्राध्यापक भी रह चुका है.

भारत में हुई आतंकी वारदातों का गुनहगार है हाफिज

आतंकी संगठन लश्कर-ए-तयबा के जरिये हाफिज भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है….

1. 13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद पर हुए हमले में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी शामिल रहे. हमले में हाफिज की भूमिका को देखते हुए ही पाकिस्तान ने 21 दिसंबर, 2001 को उसे हिरासत में लिया था.

2. 14 मई, 2002 को कालूचक स्थित भारतीय सैन्य अड्डे पर हुए आतंकी हमले में हाफिज सईद के शामिल होने का संदेह है. इस हमले में 36 लोग मारे गये थे.

3. 11 जुलाई, 2006 को मुंबई के रेल डब्बों में हुए बम धमाकों के पीछे भी हाफिज सईद का हाथ बताया जाता है. इसके लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने 9 अगस्त, 2006 को उसे गिरफ्तार कर घर में नजरबंद कर दिया था, बाद में लाहौर उच्च न्यायालय के आदेश पर 28 अगस्त को रिहा कर दिया गया.

4. 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में एक के बाद एक हुए आतंकी हमलों में हाफिज के संगठन लश्कर-ए-तैयबा के शामिल होने के पुख्ता सुबूत भारतीय जांच एजेंसियों के पास हैं. इस हमले की साजिश हाफिज सईद ने पाकिस्तान में रची थी. भारत के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने हाफिज सईद को वैश्विक आतंकी घोषित किया.

पाक की आतंकपरस्त नीति
आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति के तौर पर अपने चुके पाकिस्तान को भारत अलग-अलग वैश्विक मंचों से बेनकाब कर चुका है. लश्कर -ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-झांग्वी, अलकायदा, तहरीके जफारिया, हरकत-उल-अंसार, हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे अनगिनत आतंक संगठन पाकिस्तानी जमीन से तैयार होकर पड़ोसियों के लिए खतरा बन रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान कभी भी इस सच्चाई को स्वीकार करने को तैयार नहीं हुआ. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ इन समूहों के जिहादी लड़ाकों को प्रशिक्षित कराने और धन मुहैया कराने जैसे कृत्यों में शामिल रही है. यही आतंकी भारत और अफगानिस्तान समेत विभिन्न पड़ोसी मुल्कों में दाखिल होकर खून-खराबा करते हैं.

भारत विरोधी गतिविधियों के लिए पाकिस्तानी समर्थन
खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल आतंकी संगठनों पर पाकिस्तान किसी भी कार्रवाई से साफ तौर पर बचता रहा है. आतंकी सरगना हाफिज सईद जम्मू-कश्मीर समेत पूरे भारत में आतंकी हमलों की धमकी देता है. लेकिन, संयुक्त राष्ट्र के आतंक निरोधी समझौते का हिस्सा होने के बावजूद पाकिस्तान के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. पूर्व आइएसआइ प्रमुख हामिद गुल समेत कई पाक खुफिया अधिकारियों को हाफिज सईद के साथ कार्यक्रमों में हिस्सा लेते देखा गया है. पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ तो एक टीवी इंटरव्यू में हाफिज सईद को ‘अपना हीरो’ तक बता चुके हैं.

यह भी जानें
-11 दिसंबर, 2008 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा द्वारा जमात पर प्रतिबंध लगाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने हाफिज को घर में नजरबंद कर दिया. जून 2009 में लाहौर उच्च न्यायालय के आदेश पर उसे रिहा किया गया.

-25 अगस्त, 2009 को इंटरपोल ने हाफिज सईद के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया.

-सितंबर 2009 में पाक सरकार ने फिर हाफिज को घर में नजरबंद किया.

-12 अक्तूबर, 2009 को लाहौर उच्च न्यायालय ने हाफिज सईद को आरोपों से मुक्त करते हुए रिहा करने के आदेश दिये. साथ ही कहा कि जमात-उद-दवा प्रतिबंधित संगठन नहीं है और यह स्वतंत्र रूप से अपने कार्य कर सकता है.

-अप्रैल, 2012 में अमेरिका ने हाफिज की गिरफ्तारी के लिए एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया.

-28 जनवरी, 2015 को जमात-उद-दवा ने कराची में एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की.

-31 जनवरी, 2017 को पाकिस्तान सरकार ने शांति और सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए हाफिज सईद को एक बार फिर नजरबंद किया.

-7 अगस्त, 2017 को जमात-उद-दवा ने मिली मुस्लिम लीग नाम की राजनीतिक पार्टी के गठन की घोषणा की. पार्टी का अध्यक्ष हाफिज के करीबी सैफुल्ला खालिद को बनाया गया. हालांकि, पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने अभी तक मिली मुस्लिम लीग को मान्यता नहीं दी है. वहीं पाकिस्तान सरकार भी एमएमएल को मान्यता देने के खिलाफ है.

-23 नवंबर, 2017 को पाकिस्तान की एक अदालत के आदेश पर हाफिज सईद को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया.

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