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खत्म होगा चंदे का अपारदर्शी तरीका
उन्होंने लिखा है कि यह बिल्कुल अपारदर्शी तरीका है. ज्यादातर राजनीतिक दल और समह इस मौजूदा व्यवस्था से बहुत सुखी दिखते हैं. यह व्यवस्था चलती रहे, तो भी उनको कोई फर्क नहीं पड़ेगा. जेटली का कहना है कि उनकी सरकार का प्रयास यह है कि ऐसी वैकल्पिक प्रणाली लायी जाये, जो राजनीति चंदे की व्यवस्था में स्वच्छता ला सके. उन्होंने लिखा है कि अब लोगों के लिए सोच समझ कर यह तय करने का विकल्प होगा कि वे संदिग्ध नकद धन के चंदे की मौजूदा व्यवस्था के हिसाब से चलन को अपनाये रखना चाहते हैं या चेक, आॅनलाइन अंतरण और चुनावी बांड का माध्यम चुनते हैं.
तीन में से दो तरीके बेहद पारदर्शी
वित्त मंत्री ने कहा कि बाद के तीन तरीकों में से दो (चेक और आॅनलाइन) पूरी तरह पारदर्शी है, जबकि बांड योजना मौजूदा अपरादर्शी राजनीतिक चंदे की मौजूदा व्यवस्था की तुलना में एक बड़ा सुधार है. उन्होंने कहा कि सरकार भारत में राजनीतिक चंदे की वर्तमान व्यवस्था को स्वच्छ बनाने और मजबत करने के लिए सभी सुझावों पर विचार करने को तैयार है, लेकिन यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अव्यवहारिक सुझावों से नकद चंदे की व्यवस्था नहीं सुधरेगी, बल्कि उससे यह और पक्की ही होगी.
आजादी के 70 साल बाद भी नहीं निकल पाया स्वस्थ तरीका
जेटली ने लिखा है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद सात दशक बाद भी राजनीतिक चंदे की स्वच्छ प्रणाली नहीं निकाल पाया है. राजनीतिक दलों को पूरे साल बहुत बड़ी राशि खर्च करनी होती है. ये खर्चे सैकड़ों करोड़ रुपये के होते हैं. बावजूद इसके राजनीतिक प्रणाली में चंदे के लिए अभी कोई पारदर्शी प्रणाली नहीं बन पायी है.