सुप्रीम कोर्ट का केंद्र से सवाल- कुछ आतंकियों को पकड़ने के लिए पूरी जनता का बैंक खाता Aadhar से क्यों जुड़े

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवारको कहा कि आधार बैंकिंग धोखाधड़ियों को रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. शीर्ष अदालत ने ‘केवल कुछ आतंकवादियों को पकड़ने के लिए’ पूरी जनता से अपने मोबाइल फोन आधार से जोड़ने के लिए कहने पर केंद्र पर सवाल खड़े किये. शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2018 9:54 PM
an image

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवारको कहा कि आधार बैंकिंग धोखाधड़ियों को रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. शीर्ष अदालत ने ‘केवल कुछ आतंकवादियों को पकड़ने के लिए’ पूरी जनता से अपने मोबाइल फोन आधार से जोड़ने के लिए कहने पर केंद्र पर सवाल खड़े किये. शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंक अधिकारियों की धोखाधड़ी करनेवालों से ‘साठगांठ’ होती है.

अदालत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि घोटाले इसलिए होते हैं क्योंकि अपराधी अज्ञात होते हैं. अदालत ने ये टिप्पणियां उस समय कीं जब केंद्र ने दलील दी कि आधार आतंकवाद और बैंक संबंधी धोखाधड़ी जैसी समस्याओं पर रोक लगाने में मदद करेगा. न्यायालय ने सवाल किया कि अगर कल को अधिकारी प्रशासनिक आदेशों के जरिये नागरिकों से आधार के तहत डीएनए और रक्त के नमूने देने के लिए कहने लगें तो क्या होगा. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षतावाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने आधार और इसके 2016 के कानून की वैधता को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र की दलील पर पहली नजर में असहमति जतायी और कहा कि आधार बैंकिंग धोखाधड़ी का ‘समाधान नहीं’ है.

पीठ ने कहा, ‘धोखाधड़ी करनेवालों की पहचान के बारे में कोई संदेह नहीं है. बैंक जानती है कि वह किसे ऋण दे रही है और बैंक अधिकारियों की धोखाधड़ी करनेवालों से साठगांठ होती है. आधार इसे रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकता.’ इस पीठ में न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल थे.

पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि बैंकिंग धोखाधड़ी कई पहचान पत्रों के कारण नहीं होता है. केंद्र का कहना है कि बायोमैट्रिक्स सुरक्षित हैं और ये ‘धन शोधन, बैंक धोखाधड़ी, आयकर चोरी और आतंकवाद’ जैसी समस्याओं का समाधान कर सकती है. पीठ ने कहा कि आधार मनरेगा जैसी योजनाओं के फर्जी लाभार्थियों को खोज निकालने में अधिकारियों की मदद कर सकता है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version