छह महीने में 3300 किमी की ”नर्मदा यात्रा”, क्या खत्म हो पायेगा दिग्विजय का ”वनवास”?

नयी दिल्ली (भाषा) : कभी दलित एजेंडा, कभी दस वर्ष तक कोई पद न लेने का ऐलान तो कभी अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी 3300 किलोमीटर की छह माह चली नर्मदा परिक्रमा यात्रा को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं. दिग्विजय सिंह का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2018 3:08 PM
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नयी दिल्ली (भाषा) : कभी दलित एजेंडा, कभी दस वर्ष तक कोई पद न लेने का ऐलान तो कभी अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी 3300 किलोमीटर की छह माह चली नर्मदा परिक्रमा यात्रा को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं. दिग्विजय सिंह का राजनीतिक ग्राफ धीरे – धीरे आगे बढ़ा और फिर प्रदेश की राजनीति से लेकर केन्द्र में सत्ता के गलियारों तक उनकी पैठ बराबर बनी रही.

कांग्रेस के दिग्गज रणनीतिकारों में शुमार दिग्विजय सिंह को राजनीति विरासत में मिली. ब्रिटिश इंडिया की होल्कर रियासत में इंदौर में 28 फरवरी 1947 को राघोगढ़ के राजा बल भद्रसिंह के यहां जन्मे दिग्विजय की शिक्षा इंदौर में ही हुई. उन दिनों उनके पिता राघोगढ़ से ही जनसंघ के सांसद हुआ करते थे. 1969 से 1971 के बीच वह राघोगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष रहे. इस दौरान 1970 में उन्हें विजयराजे सिंधिया ने जनसंघ में आने का न्यौता दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.

1977 में राघोगढ़ से पहली बार बने थे विधायक

विवादों से है दिग्विजय का गहरा नाता

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