इंदौर : भगवा रंग को हिंदुओं के लिए ‘धार्मिक रूप से आदर्श’ बताते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल कभी नहीं किया है. पत्नी के साथ हाल ही में नर्मदा परिक्रमा पूरी करने वाले दिग्विजय ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मैंने भगवा आतंकवाद शब्द का कभी इस्तेमाल नहीं किया है. मैंने संघी आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया है. भगवा हमारे लिए धार्मिक मामले में आदर्श रंग है.
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उन्होंने कहा कि आतंकवाद का रंग न तो हरा होता है और न ही भगवा होता है. धर्म कोई भी हो, धर्मांधता से नफरत फैलती है और फिर आतंकवाद का जन्म होता है. क्या भाजपा के मुकाबले के लिए कांग्रेस ‘नरम हिंदुत्व’ के एजेंडा को आगे बढ़ा रही है, इस सवाल पर दिग्विजय ने कहा कि मेरे शब्दकोश में हिंदुत्व शब्द ही नहीं है. इस शब्द का हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने आरोप लगाया कि विनायक दामोदर सावरकर ने सनातन धर्म को ‘आतंकी रूप’ देने के लिए हिंदुत्व शब्द गढ़ा था. वर्ष 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में हैदराबाद की विशेष आतंक रोधी अदालत द्वारा स्वामी असीमानंद और चार अन्य को बरी किये जाने को लेकर पूछे गये सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि इस सरकार (नरेंद्र मोदी सरकार) के सत्ता में आने के बाद दक्षिणपंथी चरमपंथ से जुड़े लोग आतंकी घटनाओं के मुकदमों में बरी होने वाले हैं.
दिग्विजय ने नोटबंदी के पूरी तरह असफल होने का आरोप लगाते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस हालिया बयान पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने नकदी की मौजूदा किल्लत के पीछे किसी साजिश की आशंका जतायी है. उन्होंने कहा कि केंद्र और मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है. इसके बावजूद अगर शिवराज कहना चाह रहे हैं कि नोटों की किल्लत के पीछे विपक्ष की कोई साजिश है, तो इस बयान से उनकी काबिलियत का पता चलता है.
दिग्विजय ने लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विचार को भारतीय संदर्भ में सरासर अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि देश में इस तरह की निर्वाचन व्यवस्था को लागू करना मुमकिन नहीं है. दलित पहचान के मुद्दे को भारतीय राजनीति की सचाई बताते हुए कहा उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरे महीनों में आरक्षित वर्ग और सवर्ण समुदाय के लोगों में संघर्ष के लिये सत्तारूढ़ भाजपा जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि रोजगार नहीं मिलने के कारण सवर्ण वर्ग के पढ़े-लिखे युवकों में कुंठा पैदा होना स्वाभाविक है. इसमें उन लोगों (भाजपा नेता) का भी बहुत कुछ योगदान है, जो आज सरकार में हैं. इन लोगों ने पहले हिंदुओं और मुसलमानों में लड़ाई करायी. अब वे दलितों और ऊंची जातियों के लोगों के बीच खाई पैदा कर रहे हैं.
दिग्विजय ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों को शीर्ष न्यायालय के कथित तौर पर हल्का किये जाने के मामले में समय रहते उचित कानूनी कदम नहीं उठाये. इसके साथ ही, सरकार का खुफिया तंत्र यह पता करने में नाकाम रहा कि आरक्षित वर्ग के लोग दो अप्रैल को इतने बड़े पैमाने पर भारत बंद बुलाने वाले हैं.
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